परिहार गोत्र

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परिहार एवं प्रतिहार एक भारतीय उपनाम है।[१][२]जो एक क्षत्रिय कुल की गोत्र है।[३] ये लोग मुख्यतः भारत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात सहित दिल्ली, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में निवास करते हैं। परिहार, प्रतिहार या पड़िहार अग्निवंशी क्षत्रिय है और सूर्यवंशी पुरुषोत्तम श्री राम के अनुज श्री लक्ष्मण जी के वंशज कहे जाते हैं। इन्हें अग्निकुल का भी कहा जाता हैं, क्योंकि परिहारों की उत्पत्ति राजस्थान प्रदेश के अरावली पर्वतमाला के सर्वोच्च शिखर पर स्थित माउंट आबू में एक हवन कुंड से होने के ऐतिहासिक उद्धरण भी मौजूद हैं। कुछ इतिहास में समुपलब्ध साक्ष्यों तथा भविष्यपुरांण में समुपवर्णित विवेचन कर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय बनारस के विद्वानों के द्वारा बतौर प्रमाण यजुर्वेदसंहिता, कौटिल्यार्थशास्त्र, श्रमद्भग्वद्गीता, मनुस्मृति, ऋकसंहिता पाणिनीय अष्टाध्यायी, याज्ञवल्क्यस्मृति, महाभारत, क्षत्रियवंशावली, श्रीमद्भागवत, भविष्यपुरांण इत्यादि में भी परिहार एवं विन्ध्य क्षेत्रीय वरगाही उपाधि धारी परिहारों का वर्णन मिलता है। जो ध्रुव सत्य है। यह वंश मध्यकाल के दौरान मध्य-उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में राज्य करने वाला गुर्जर-प्रतिहार राजवंश था , जिसकी स्थापना नागभट्ट प्रतिहार ने ७२५ ई० में की थी। इनके पुत्र वत्सराज गुर्जर-प्रतिहार राजवंश ने कन्नौज के शासक इन्द्रायुध को परास्त कर कन्नौज पर अधिकार कर इसे आगे बढ़ाया। इसलिए वत्सराज को 'रणहस्तिन्' कहा गया है। इस राजवंश के लोग स्वयं को श्री राम के अनुज श्री लक्ष्मण के वंशज मानते हैं, जिसने अपने भाई राम को एक विशेष अवसर पर प्रतिहार की भाँति सेवा की। इस गुर्जर-प्रतिहार राजवंश की उत्पत्ति, प्राचीन कालीन ग्वालियर प्रशस्ति अभिलेख से ज्ञात होती है। अपने स्वर्णकाल साम्राज्य पश्चिम में सतलुज नदी से उत्तर में हिमालय की तराई और पुर्व में बंगाल-असम से दक्षिण में सौराष्ट्र और नर्मदा नदी तक फैला हुआ था। सम्राट मिहिर भोज महान इस राजवंश का सबसे प्रतापी और महान राजा थे। अरब लेखकों ने उनके काल को सम्पन्न काल बताते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि इस राजवंश ने भारत को अरब हमलों से लगभग ३०० वर्षों तक बचाये रखा था। वर्तमान में इस राजवंंश के मूलतः ठिकाने जालोर जिले ( Panseri ) में है परिहार और प्रतिहारो को एक ही माना जाता है और इनका मूलतः सबसे बड़ा गांव छायन हैं जो जैसलमेर जिले में है पहले इनका राज मंडोर में था। नागभट्ट, नागभट्ट-II और मिहिर भोज जैसे महान शासक गुर्जर-प्रतिहार राजवंश से संबंधित है। परिहार वंश के लोग बाद के काल में अन्य राजवंशों में सलाहकार के रूप में भी रहे।

सन्दर्भ

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  3. साँचा:cite book