परम्परावादी रूढ़िवाद

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साँचा:redirect परम्परावादी रूढ़िवाद, जिसे पारम्परिक रूढ़िवाद, परम्परावाद, क्लासिकी रूढ़िवाद और (संयुक्त राज्य तथा कनाडा में) टोरीवाद भी कहते हैं, एक राजनीतिक दर्शन है जिसका ध्यान, प्राकृतिक विधि व पारमित नैतिक व्यवस्था के सिद्धान्तों की आवश्यकता पर, परम्परा, पदानुक्रमआंगिक एकता, कृषिवाद, क्लासिकवादउच्च संस्कृति, और निष्ठा के प्रतिच्छेदित क्षेत्रों पर, केन्द्रित रहता हैं।[१] कुछ परम्परावादियों ने "प्रतिक्रियावादी" और "क्रान्ति प्रतिरोधी" के लेबलों को अपनाया हैं, जिससे ज्ञानोदय युग से इन शब्दों से लिप्त लाँछन की अवहेलना हुई हैं।

परम्परावाद का विकास पूरे 18वीं सदी के यूरोप में हुआ (विशेषकर, अंग्रेज़ी गृहयुद्ध के अव्यवस्था की और फ़्रान्सीसी क्रान्ति के आमूलवाद की अनुक्रिया में)। 20वीं सदी के मध्य में उसका एक बौद्धिक और राजनीतिक बल के रूप में आग्रहपूर्वक संगठित होना प्रारम्भ हुआ।

परम्परावादी रूढ़िवाद की यह अधिक आधुनिक अभिव्यक्ति की शुरुआत यू०एस० विश्वविद्यालय प्राचार्यों के एक समूह के बीच हुई (जो लोकप्रिय प्रेस द्वारा "नये रूढ़िवादियों" के रूप में लक्षित कियें गएँ), जिन्होंने व्यक्तिवाद, उदारवाद, समतावाद, आधुनिकता, और सामाजिक प्रगति की धारणाओं को अस्वीकार किया, सांस्कृतिक और शैक्षणिक पुनर्जीवन को बढ़ावा दिया,[२] और चर्च, परिवार, राज्य, स्थानीय समुदाय, इत्यादि में रूचि पुनर्जीवित की।

प्रमुख सिद्धान्त

प्राकृतिक विधि और पारमित नैतिक व्यवस्था

परम्परा और प्रथा

पदानुक्रम और आंगिक एकता

कृषिवाद

क्लासिकवाद और उच्च संस्कृति

देशभक्ति, स्थानीयवाद, और क्षेत्रीयवाद

सम्बन्धित राजनीतिक दर्शन

नवप्रतिक्रियावादी आन्दोलन परम्परावादी रूढ़िवाद के समरूप है।

सन्दर्भ

  1. Frohnen, Bruce, Jeremy Beer, and Jeffrey O. Nelson, ed. (2006) American Conservatism: An Encyclopedia Wilmington, DE: ISI Books, pp. 870–875.
  2. Frohnen, Bruce, Jeremy Beer, and Jeffrey O. Nelson, ed. (2006) American Conservatism: An Encyclopedia Wilmington, DE: ISI Books, p. 870.

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