पदार्थों के सुदृढ़ीकरण के साधन
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सुदृढ़ीकरण (स्ट्रेंगथनिंग) मूल रूप से प्रभ्रंश गति (डिस्लोकेशन मोशन) और यांत्रिक व्यवहार (मैकेनिकल बिहेविअर) के बीच एक संबंध है। इसका कारण यह है कि पदार्थ प्रभ्रंश की गति के कारण ही ख़राब होता है। हम अगर किसी भी तरह इस प्रभ्रंग गति को कठिन करें तो हम सामग्री को मजबूत बना सकते हैं। यह कई तरीकों से किया जा सकता है जैसे दाने का आकार (ग्रेन साइज ) कम करना, ठोस विलयन (सॉलिड सलूशन) सुदृढ़ीकरण, प्रेसिपिटशन सुदृढ़ीकरण, ठंडकाम कर (कोल्ड वर्किंग )।
डिस्लोकेशन मोशन को कठिन बनाने से सामग्री की मजबूती बढ़ती है, इस बात को ध्यान में रखते हुए हम ऊपर लिखे तकनीको को समझने की कोशिश करेंगे।
ग्रेन साइज कम करना
क्यों की अनाज का सीमा (ग्रेन बाउंड्री ), डिस्लोकेशन मोशन के लिए बाधा है , हम ग्रेन का आकार कम करके बाधाओं की संख्या बढ़ा सकते है। दो हिस्सों / दानो के बीच में जितनी जादी मिसोरिएन्टेशन होती है , सीमा बाधा की ताकत डिस्लोकेशन मोशन को रोकने की और भी बढ़ जाती है।
सॉलिड सलूशन से सामग्री को मजबूत बनाना
जो क्रिस्टल में अपवित्रता होती है ,वह लैटिस को बिगाड़ देती है ,इससे तनाव ( स्ट्रेस )पैदा होती है जो डिस्लोकेशन मोशन के लिए कठिनाई बढ़ाती है। मिश्र धातु (एलाय ) में जहां छोटे अपवित्र परमाणु , डिस्लोकेशन की जगह इकट्ठा हो जाते है जिससे डिस्लोकेशन की बढ़ने की योग्यता कम हो जाती है।
प्रेसिपिटशन से सामग्री को मजबूत बनाना
एक डिस्लोकेशन के लिए किसी वेग को कतरनी और आगे बढ़ना एक बहुत मुश्किल की बात है। ऐसा करने के लिए अधिक शेयर स्ट्रेस की ज़रुरत पढ़ेगी। उदाहरण के लिए : एयरोप्लेन की आंतरिक विंग में एल्युमीनियम को इसी प्रकार से मजबूत किया जाता है।
कोल्ड वर्किंग अथवा स्ट्रेन हार्डेनिंग
तापमान जिस पर डेफोर्मेशन होता है वह सामग्री की पूर्ण गलनांक (अब्सोलुते मेल्टिंग पॉइंट ) से कम (कोल्ड ) है , इसीलिए हम इसे कोल्ड वर्क कहते है। स्ट्रेन हार्डेनिंग ऐसा तरीका है जिसमे नमनीय सामग्री मज़बूत बन जाती है , इसका कारण यह है कि वह स्थायी वीकर हो जाता है। वीकर होने से डिस्लोकेशन्स की घनत्व बढ़ जाती है जिससे डिस्लोकेशन्स के बीच दूरी घटती है और वह एक दुसरे से प्रतिकारक (रेपुल्सिवे) इंटरेक्शन करने लगते है और उनके आगे बढ़ने में कठिनाइया पैदा होती है। जितना ज्यादा कोल्ड वर्क करेंगे, उतना ज्यादा स्ट्रेस उसे डेफोर्म करने में लगेगा।