जैन दर्शन में जीव आत्माओं के दो भेद किए गए है — मुक्त जीव (सिद्ध) और संसारी जीव। संसारी जीवों के इंद्रियों के आधार से ५ पाँच भेद किए है। जिन जीवों के पाँचों इंद्रियाँ होती है, उन्हें पंचेंद्रिय जीव कहा जाता है।