पंचदेवरी प्रखण्ड (गोपालगंज)

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गोपालगंज, बिहार का एक प्रखण्ड है पंचदेवरी, ग़ोपालगंज का सबसे छोटा प्रखंड है इसकी सीमा उत्तरप्रदेश से लगती है

गोपालगंज जिले में 14 प्रखंड हैं, उसी 14 प्रखंड में एक प्रखंड पंचदेवरी है[१]।#पंचदेवरी#प्रखण्ड के एगो छोट परिचय देबे के कोशिश कइल गईल बा हमार bad भाई #संकेत (नितेश) पांडेय के द्वारा लेख कइसन लागल जरूर बतायीं । गोपालगंज के सबसे छोट प्रखंड ह पंचदेवरी।पंचदेवरी के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 22989.27 एकड़ (93.06वर्ग किमी) बाटे । पंचदेवरी उत्तर में जिला कुशीनगर (उo प्रo) दक्षिण में भोरे प्रखण्ड पूर्व में कुचायकोट तथा पश्चिम में कटेया प्रखण्ड से घिरल बा । पंचदेवरी के नामकरण के पीछे जवन भी बात होंखे लेकिन अगर सब्द पर पंचदेवरी शब्द के रउवा अर्थ समझेब त ई पांच गो देवता के एगो नगर मानल गईल बा । एगो प्रखंड के रूप में पंचदेवरी के निर्माण ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा 7 सितम्बर 1994 के ही कर दिहल गईल रहे बाकिर विधिवत उद्धघाटन ओकरा तीन साल बाद 1 जनवरी 1997 के ओ समय के बिहार के मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद जी द्वारा सम्भल भईल रहे, जिला मुख्यालय से 45 किमीo के दूरी पर स्थित पंचदेवरी के कुल आबादी 2 लाख से अधिक बा । एह प्रखण्ड में 99 राजस्व गांव तथा 9 गो पंचायत बा . पंचदेवरी के इतिहास बहुत पूरान बतावल जाला महाभारतकालीन योद्धा भूरिश्रवा के सेना में इहा के लोग भी सक्रिय रहे । महात्मा बुद्ध जब अपना कुशीनगर के अंतिम प्रवास खातिर निकलले तब उ जमुनहा ,पंचदेवरी अमेयाँ होत गुजरल रहले . इतिहास के पन्ना में पंचदेवरी के नाम पुरान चेर और मल्ल राजावन के क्षेत्र के रूप में अंकित बा । 1764 के बक्सर के लड़ाई में पंचदेवरी के लोग हथुआ राजा के साथ मिल के अंग्रेजन के खिलाफ लड़ाई के बिगुल बजवले रहे लोग त आजादी के लड़ाई खातिर जब महात्मा गांधी जब पूरा भारत घुमत रहले तब उ पंचदेवरी के बरवां गांव के बगीचा में एगो सभा के सम्बोधित कइले रहले एहि कार्यक्रम के दौरान ही अंग्रेजी सरकार उनका प अचानक धावा बोल दिहलस लोग तब इहाँ के लोग बैलगाड़ी पर बिठा के रेलवे स्टेशन तक पहुँचवले रहे लोग . के ई सगरो बात के महात्मा गांधी अपना जीवनी में लिखले बाड़े साथे- साथ गाँधी उ लोगन के नाम के चरचा भी अपना जीवनी में कइले बाड़े जे उनकरा के अपना बैलगाड़ी से स्टेशन तक पहुँचे में मदद कइले रहे.1930के सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय ई क्षेत्र काफी उग्र घोषित कईल गईल रहे। पंचदेवरी में खेती लायक कुल जमीन 20161.46 एकड़ बा जवन गेंहू , धान, ईंख के साथ- साथ सगरो साग- सब्जी उगावे खातिर एकदम उपयुक्त बा, सिंचाई के साधन के रूप में गंडक नहर के रूप में इहाँ गंडक नहर के जाल बिछल बा पंचदेवरी से होके बहल झरहि नदी से भी लोग सिंचाई के काम करेले . शिक्षा के क्षेत्र में पंचदेवरी में 2 इंटर कॉलेज 3 गो हाई स्कूल के साथे- साथे माध्यमिक स्तर के शिक्षा के भी नीमन व्यवस्था बा बाकिर पंचदेवरी में उंच शिक्षा के कौनो प्रबन्ध नइखे जवन एगो दुःख के बात बा, यातायात के सुविधा के रूप में पंचदेवरी के तिवारीछपरा गाँव में एगो रेलवे स्टेशन के निर्माण भईल बा जहाँ से रोज एगो ट्रैन हाजीपुर तक जाले. सड़क मार्ग में पंचदेवरी के लगभग सागरों गांव मुख्य सड़क से जुड़ल बा मीरगंज- समउर पथ राष्ट्रीय- राजमार्ग के रूप में चयनित बा , त उहें भोरे मिसरौली पथ अंतरास्ट्रीय राजमार्ग के रूप में चयनित बा ।पंचदेवर के सिकटिया में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के निर्माण भईल बा जहां पर सरकार निःषुल्क उपचार के प्रभन्द कइले बाटे साथ ही पंचदेवरी में स्वछ जल पहुँचावे खातिर 2 गो पानी टंकी बन के तैयार बा साथ ही बिजली आपूर्ति खातिर पंचदेवरी के ब्रह्मचौरा में बिजलीघर के निर्माण भईल बा . पंचदेवरी धार्मिक दृष्टि से प्रताप सिंह ब्रह्म लोक- आस्था के साथ - साथ ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण उहाँ के धरती में न जाने केतना इतिहास दबल बा चैनटोला के एगो चंद्रभगत नामक साधु जिंदा समाधि लेहले रहलन ,त भगवानपुर के जिन्न बाबा के स्थान भी पूजा खातिर एगो धार्मिक केंद्र बा ,पंचदेवरी के लोहाटी निवासी मैनेजर पाण्डेय भारतीय साहित्य के एगो बड़ नाम हवन प्रखण्ड प्रमुख रहते रविप्रकाश मणि त्रिपाठी देश के राष्ट्रपति से सर्वश्रेठ प्रमुख के पुरष्कार बाड़ें ई सगरो बात पंचदेवरीवासी के सीना चौड़ा करे खातिर काफी बा. सांस्कृतिक रूप से भी पंचदेवरी के आपन पहिचान बा समय समय पर लागे वाला मेला के माध्यम से इहा के कईगो रूप देखे के मिलेला जेइमे मुख्य रूप से नटवा; बहेरवा अउर सिकटिया में लागे वाला मेला प्रसिद्ध बा। यह लेख संकेत (नितेश पाण्डेय ) द्वारा लिखा गया है ।

सन्दर्भ

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