निर्मल महतो

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निर्मल महतो

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राष्ट्रीयता भारतीय
राजनीतिक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा
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निर्मल महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख नेता थे। वह ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन के संस्थापक थे। वे झारखंड के अलग राज्य के आंदोलन में प्रमुख नेता थे।[१][२][३]

जीवन शैली

निर्मल महतो का जन्म 25 दिसंबर 1950 ई को झारखंड राज्य के सिंहभूम जिला गॉंव उलिआन जमशेदपुर में हुआ था! पिता जगबंधु महतो माता पिरिआ बाला महतो के चौथा पुत्र था।

शिक्षा

निर्मल महतो ने पढ़ाई जमशेदपुर वकर्स यूनियन हाई स्कूल से मेट्रिक कि परीक्षा पास किया और बि.ए कॉपरेटिव कॉलेज जमशेदपुर से कि शिक्षा के साथ-साथ राजनीतिक में अधिक रूचि थी।

झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल

सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले निर्मल दा ने झारखंड अलग राज्य के लिए चलाये गये आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी. झारखंड के दिशोम गुरु शिबू सोरेन इनके आक्रामक छवि से काफी प्रभावित थे। निर्मल महतो ने झारखंड के लिए आंदोलन चलाया था और सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन किया था. आज अगर संयुक्त बिहार से झारखंड अलग हुआ और सूदखोरों एवं सामंतों से ग्रामीणों को राहत मिली है, तो इसमें इनकी मुहिम का भी असर रहा. झारखंड के सबसे बड़े छात्र संगठन आजसू का जन्म इन्हीं के अथक प्रयास से हुआ था. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन (दिशोम गुरु) ने इनकी आंदोलनकारी छवि को देखते हुए निर्मल महतो को 1980 ई में पार्टी में शामिल किया था।

अहम भूमिका

8 सितम्बर 1980 में पश्चिमी सिंहभूम जिला के बड गांव में आदिम जनजाति आंदोलन के अग्रणी आंदोलनकारी नेता थे इस आन्दोलन में गोली कांड हुई जिसमे हजार से अधिक लोगों ने अपनी बलिदान दे दी। 1984 ई को राँची सिंदरी से लोक सभा चुनाव झारखंड मुक्ति मोर्चा से लडा जिनमें सफलता नहीं मिली। 1985 ई को बिहार विधानसभा ईचागढ़ से एम एल ए के पद से चुनाव लडा जिनमें सफलता नहीं मिली। अप्रैल 1986 ई से झारखंड मुक्ति मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया। झारखंड के शहीद तेलंगा खड़िया के गांव को लिया गोद, निर्मल महतो ने शोषण के विरुद्ध एवं गरीबों ,मजदूरों, किसानों के हक के लिए आवाज उठायी और जमीनी स्तर पर युवाओं को जोड़ने का काम किया उन्होंने आजसू के नेताओं को आंदोलन की बारीकियों से अवगत कराने के लिए दार्जिलिंग में सुभाष घीसिंग' और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन आजसू के नेता प्रफुल्ल कुमार महंतभृगु कुमार फूकन से मिलने असम भी भेजा झारखंड में इंटर फेल विद्यार्थियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ धनबाद बंद का मिला-जुला असर,जगह-जगह प्रदर्शन किया। झारखंड अलग राज्य के लिए आंदोलन ने इस कदर रफ्तार पकड़ ली कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी व तत्कालीन भारत के गृह मंत्री बूटा सिंह को दिल्ली में कई बार आजसू से वार्ता करनी पड़ी आखिरकार झारखंड स्वायत्तशाषी परिषद, फिर झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ, लेकिन यह देखने के लिए निर्मल महतो जीवित नहीं रहे 8 अगस्त 1987 को निर्मल महतो ( निर्मल दा) की हत्या कर दी गई थी।

हत्या

झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष रहे जमशेदपुर के सोनारी के उलियान निवासी निर्मल महतो की हत्या के बाद झारखंड आंदोलन आक्रामक हो गया था। इसके बाद अलग राज्य का मार्ग प्रशस्त होता चला गया। आंदोलन की बदौलत झारखंड अलग राज्य का गठन 15 नवंबर 2000 को हुआ। निर्मल महतो की हत्या 8 अगस्त 1987 को जमशेदपुर के बिष्टुपुर में नार्दर्न टाउन स्थित चमरिया गेस्ट हाउस के सामने गोली मारकर उस समय कर दी गई थी, जब वे अपने सहयोगियों के साथ खड़े होकर बातचीत कर रहे थे। लोग निर्मल महतो को प्यार से निर्मल दा पुकारते थे। संयुक्त बिहार के दौरान उस हत्या के विरोध में जमशेदपुर समेत पूरे प्रदेश में बवाल हुआ था। हत्या की जांच सरकार ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को 18 नवंबर 1987 को सौंप दी थी। हत्या मामले में धीरेंद्र सिंह वीरेंद्र सिंह और नरेंद्र सिंह की गिरफ्तारी हुई थी। धीरेंद्र सिंह की गिरफ्तारी हत्या मामले में 11 साल बाद 2001 में और नरेंद्र सिंह की 2003 में हुई थी। जेल में ही गोलमुरी के गाढ़ाबासा निवासी वीरेंद्र सिंह की मौत हो गई थी। हत्या की प्राथमिकी झारखंड मुक्ति मोर्चा के तत्कालीन दिग्गज नेता सूरज मंडल की शिकायत पर बिष्टुपुर थाना में दर्ज की गई थी।

सन्दर्भ

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