निमाड़ की होली

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निमाड़ की होली

  • होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का पारम्परिक त्योहार है। रंगों का यह त्यौहार जहाँ सम्पूर्ण भारत और पड़ोसी राज्य नेपाल में बड़ी धूमधाम एवम उत्साह के साथ मनाया जाता है वही भारत के मध्य बसा मध्य  प्रदेश  के निमाड़  और मालवा अंचल में भी प्रेम और सौहार्द के साथ  मनाया जाता है।  होली पर्व को   पौराणिक प्रचलित  कथा  के अनुसार  होलिका द्वारा भक्त प्रह्लाद को गोद में बैठाकर आत्मदाह करने व् प्रह्लाद के जीवित रहने के कथानक से जोड़ा गया है  यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इतिहासकारों का मानना है कि आर्यों में भी इस त्यौहार का प्रचलन था। अनेक धार्मिक ग्रंथो हस्तलिपियों नारद पुराण औऱ भविष्य पुराण जैसे पुराणों में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है।
  • होली का पहला काम झंडा या डंडा गाड़ना होता है। इसे किसी सार्वजनिक स्थल या घर के आहाते में गाड़ा जाता है। होली के एक माह पूर्व गांव व् नगर का सरपंच अथवा कोई जनप्रिय नागरिक द्वारा होली का दण्ड निर्धारित होली दहन स्थल पर स्थापित किया जाता है। परम्परा अनुसार ग्राम के नागरिक महिलाये बालक बालिकाएं गोबर के कण्डे,गोबर से हाथ के बनाये नारियल,पीपल पान,षटकोण और विभिन्न प्रकार की मालाएं बनाकर होली दहन स्थल पर पूजन के साथ रखते हैं। कई स्थलों पर होलिका में भरभोलिए जलाने की भी परंपरा है। भरभोलिए गाय के गोबर से बने ऐसे उपले होते हैं जिनके बीच में छेद होता है। इस छेद में मूँज की रस्सी डाल कर माला बनाई जाती है। एक माला में सात भरभोलिए होते हैं। होली में आग लगाने से पहले इस माला को भाइयों के सिर के ऊपर से सात बार घूमा कर फेंक दिया जाता है। होली से काफ़ी दिन पहले से ही यह सब तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। रोजाना दहन स्थल पर लकड़िया काटकर अथवा एकत्रित कर डाली जाती है। इस परम्परा में हरे भरे पेड़ पौधों को भी काटकर होली स्थल पर डाला जाता है। इससे हमारे आसपास की वनस्पति को नुकसान भी पहुचता है.
  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रो में ग्राम प्रधान द्वारा लकड़ियों व उपलों से तैयार होली का विधिवत पूजन किया जाता है। इस दिन गृहणियों द्वारा अपने अपने घरों में अनेक प्रकार के पकवान बनाये जाते है. मालवा और निमाड़ अंचल के अधिकतर घरो में इस दिन पूरनपोली, भजिये, दाल,चावल, कड़ी, पकोड़े बनाये जाते है। इन पकवानों का होली को भोग लगाया जाता है। दिन ढलने के पश्चात ज्योतिषियों द्वारा निकाले गए मुहूर्त पर होली का दहन किया जाता है।