निकोबारी लोग
कुल जनसंख्या | |
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लगभग ४०,००० | |
विशेष निवासक्षेत्र | |
निकोबार द्वीपसमूह, भारत | |
भाषाएँ | |
निकोबारी भाषाएँ | |
धर्म | |
ईसाई धर्म, सर्वात्मवाद | |
सम्बन्धित सजातीय समूह | |
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निकोबारी भारत के निकोबार द्वीपसमूह में रहने वाले ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की निकोबारी भाषाएँ बोलने वाला एक समुदाय है।
धर्म
मूल रूप से निकोबारी सर्वात्मवाद के अनुयायी थे जिसमें प्राकृतिक शक्तियों और पूर्वजों को देवों के रूप में पूजा जाता था। भारत में ब्रिटिश राज के काल में इनका ईसाईकरण किया गया, लेकिन पारम्परिक निकोबारी आस्थाएँ आज भी कई लोगों द्वारा मान्य हैं। ईसाईकरण के प्रयास यूरोपीय देशों द्वरा सन् १७५८ में आरम्भ हुए लेकिन विफल रहे।[१] बाद में ईसाईकरण के बाद भी समाज में "तमिलुआना" (ओझा) और "मेलुआना" (पुजारी) की भूमिकाएँ जारी रहीं हैं और अलग-अलग द्वीपों पर आस्थाएँ अलग गहराई से जारी हैं। यह मान्यता है कि कुछ वस्तुएँ साधारण होती हैं और कुछ पवित्र और पवित्र वस्तुओं को छूने या प्रयोग करने में सावधानी बरतनी चाहिये। मसलन हर ग्राम की एक सामाजिक नौका होती है जिसे पवित्र माना जाता है। अन्य नौकाओं से मछली पकड़ने का व यातायात का काम लिया जाता है लेकिन इस पवित्र नौका को केवल समारोहिक प्रयोगों में ही लाया जाता है। बच्चों को इसके पास जाने या इसमें खेलने की मनाही है। कार निकोबार के अलावा अन्य द्वीप के लोग छोटी मानवनुमा मूर्तियाँ रखते हैं जिन्हें बिना हाथ धोये छूना मना होता है।[२]
सामाजिक व्यवस्था
निकोबारी नर-नारियों का सामाजिक स्तर लगभग बराबर होता है। निकोबारी समुदाय की मुखिया "रानी" की उपाधी रखती है। पहली रानी का नाम इस्लोन था जिन्होनें १९४१-४२ काल में नानकौरी द्वीप के मेवालाल नामक तहसीलदार से विवाह किया था।
लोगों का आवास धरती से खम्बों पर उठे हुए कुटीरों में होता है। रात्रि में इनपर सीढ़ी लगाकर चढ़ा जाता है और फिर सीढ़ी ऊपर खींच ली जाती है। गावों में यह कुटीर स्थान-स्थान पर खड़े किये जाते हैं।
भाषा
निकोबारी समुदाय अलग-अलग निकोबारी भाषाएँ बोलते हैं। कार भाषा सर्वाधिक बोले जाने वाली निकोबारी भाषा है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Religious Magazine: Or, Spirit of the Foreign Theological Journals and Reviews, Volume 4," E. Littell, 1830, ... We commence our notices with the following account of the Nicobar Islands, the manners, customs, and superstitions of the natives, and the abortive attempt made by the church of the United Brethren to convert them to Christianity ...
- ↑ "Andaman and Nicobar Tribes Restudied: Encounters and Concerns," Rann Singh Mann, Mittal Publications, 2005, ISBN 9788183240109