नाहीद आबिदी
यह लेख एकाकी है, क्योंकि इससे बहुत कम अथवा शून्य लेख जुड़ते हैं। कृपया सम्बन्धित लेखों में इस लेख की कड़ियाँ जोड़ें। (मई 2016) |
नाहीद आबिदी | |
---|---|
नाहीद आबिदी भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलते हुए। | |
जन्म |
1961 भारत |
व्यवसाय | भारतीय संस्कृत विद्वान |
जीवनसाथी | एहतेशाम आबिदी |
बच्चे | एक लड़का और एक लड़की |
पुरस्कार | पद्मश्री |
नाहीद आबिदी संस्कृत भाषा की एक भारतीय विदुषी [१] और लेखिका हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2014 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया जो कि चौथा उच्च-स्तरीय नागरिक सम्मान है। यह पुरस्कार उन्हें साहित्य के क्षेत्र में प्रदान किया गया था।[२]
जीवन
मुझे पद्मश्री प्रदान करना संस्कृत विश्व के लिए गौरव की बात है और इससे मुसलमान संस्कृत सीखने के लिए प्रोत्साहित होंगे। मैं संस्कृत और फ़ारसी के विद्वानों की आभारी हूँ जिन्होंने मुझे इन दो मान्यताओं को एकतृत करनेवाले सूत्रों को जाँचने के मेरे लक्ष्य में मुझे प्रोत्साहित किया, जिसकी गुणवत्ता यह है कि इससे समाज में सामंजस्य और शांति का प्रचार हो सकता है। --नाहीद आबिदी[३]
नाहीद आबिदी का जन्म 1961 में मिर्ज़ापुर के एक मुसलमान ज़मींदार परिवार में हुआ था,[४] जो कि भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में है।[५] संस्कृत को अपना विषय बनाकर आबिदी ने कमला महेश्वरी डिगरी कॉलेज से स्नातक की शिक्षा पूरी की। उन्होंने के० वी० डिगरी कॉलेज, मिर्ज़ापुर से एम० ए० की शिक्षा प्राप्त की।[४]
नाहीद एहतेशाम आबिदी से अपनी शादी के पश्चात वाराणसी में ही निवास किया जो कि संस्कृत भाषा के अध्ययन का एक प्राचीन केन्द्र है। एहतेशाम आबिदी इस शहर के एक वकील हैं।[३][४] गरुड़ पुराण के अनुसार वाराणसी एक पवित्र स्थान है। आगे चलकर आबिदी ने महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ से पी० एच० डी० की शिक्षा प्राप्त की और अपने शोध को "वेदिक साहित्य में अश्विनियों का स्वरूप" के शीर्षक से 1993 में प्रकाशित किया।[६]
2005 में आबिदी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में नि:शुल्क रूप से लेकचरर के तौर पर काम करना शुरू किया। इसके पश्चात वह महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ में अंशकालिक लेकचरर के रूप में दिहाड़ी परियोजना के अंतर्गत काम करने लगी। परन्तु सर्व प्रथम मुसलमान महिला संस्कृत लेकचरर के रूप में प्रसिद्ध होने के बावजूद स्थायी नौकरी मिलने में कठिनाई हुई थी।[६] उनकी पहली किताब 2008 में "संस्कृत साहित्य में रहीम" के शीर्षक से प्रकाशित हुई प्रसिद्ध कवि खान-ए-खाना अबदुल रहीम की संस्कृत भाषा के प्रति रुचि पर आधारित है।[७] इसके पश्चात "देवालयस्य दीप:" रही जो कि मिर्ज़ा ग़ालिब के काव्य-संग्रह का अनुवाद थी।[३] तीसरी किताब "सिर्र-ए-अकबर" थी [८] थी जो कि मुगल राजकुमार दारा शिकोह द्वारा फ़ारसी में अनुदित पचास उपनिषदों का हिन्दी अनुवाद था। इसके अलावा आबिदी ने वेदान्त का हिन्दी अनुवाद किया जिसे दारा शिकोह ने फ़ारसी में अनुवाद किया था और दारा शिकोह ही के सूफ़ीवाद पर आधारित पाठ का अनुवाद किया।[३][६][९][९][१०]
नाहीद आबिदी अपने पति एहतेशाम आबिदी और दो बच्चों - एक लड़का और एक लड़की[३][४] के साथ वारणसी के शिवपुरी की वी०डी०ए० कालोनी में रहती हैं।[११] वह सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के आधिकारिक परिषद की सदस्या भी हैं।[४]
पुरस्कार और सम्मान
नाहीद को भारत सरकार द्वारा 2014 में साहित्य में उनके योगदान के कारण पद्मश्री पुरस्कार दिया गया।[२] लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें सम्मानदायक डी० लिट्ट० की उपाधि दी गई।[४]
आबिदी ने भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से 9 सितम्बर 2014 को उनके निवास पर मिल चुकी हैं और उनके द्वारा लिखी गई दो पुस्तकों को प्रस्तुत किया।[१२] इस बैठक की घोषणा मोदी ने गूगल प्लस पर एक चित्र के साथ की [१३] और इस बैठक का वीडियो प्रधान मंत्री के व्यक्तिगत जालस्थल पर प्रदर्शित किया गया था।[१०]
साहित्य के क्षेत्र में योगदान
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ अ आ इ ई उ साँचा:cite web
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite webसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
- ↑ अ आ इ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ सन्दर्भ त्रुटि:
<ref>
का गलत प्रयोग;Elets Online
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web