नाकर

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नाकर गुजराती भाषा के मध्यकालीन कवि थे जिन्होंने रामायण और महाभारत दोनों का गुजराती मे भाषांतर कीया था।

रामायण की प्रति[१]

नाकर की रामायण की प्रति डाहीलक्ष्मी पुस्तकालय, नडियाद मे है। इस प्रति मे ७ काण्ड हैं और प्रति क समय संवत १६२४ का हैं। इसके आरंभ के और अंत के पृष्ठ फटे हुए हैं। यह रामायण गुजराती 'कडवु' मे विभाजित हैं।

नाकर की रामायण कथा[२]

बालकाण्ड

  • नाकर की रामायण की फटी हुए प्रति कडवुं ४ से प्रारंभ होती हैं जहाँ मोहिनी की कथा है।
  • कडवुं ५ में अंजनीजन्म, उनका केसरी से विवाह और हनुमान जन्म की कथा हैं
  • कडवुं ६ में अंजना हनुमान से रामकथा सुनाने को कहती हैं। हनुमान क्रौंचवध और इक्ष्वाकु की वंशावली कहते हैं।
  • कडवुं ७ मेंं परशुराम द्वारा क्षत्रियों का वध और अपुत्र दशरथ को छोड देना की कथा हनुमान बताते हैं।
  • कडवुं ८ में श्रवण वध की कथा हैं इसमें श्रवण की पत्नी सावित्री का उल्लेख हैं।
  • ऋषिश्रंग की कथा, दशरथ का यज्ञ, राम जन्म, विश्वामित्र का आगमन, वेदवती की कथा, सीता जन्म, धनुभंग, सीताविवाह की कथा हैं।
  • कडवुं २८ में परशुराम का आगमन तथा उनकी माता का हत्या की कहानी हैं।

अयोध्याकाण्ड

  • राम बचपन में मंथरा को लात मारते हैं उसकी कथा
  • राम वनवास
  • भरतमिलन और भरत का पुनः अयोध्या लोटना
  • जयंत की कथा

अरण्यकाण्ड

  • शूर्पणखा के आने से सीताहरण की कथा
  • राम का चक्रवाक पक्षियों को शाप देना की वे रात्रि मे अलग हो जाएगें।
  • राम का शबरी से मिलना
  • कडवुं १४ से १९ हरिश्चंद्र की कथा है जो संभवत किसी ऋषि द्वारा राम को सुनाया गया होगा

किष्किंधाकाण्ड

  • इसमें १७ कडवे हैं जो राम सुग्रीव की मित्रता , राम की परीक्षा हेतु सुग्रीव द्वारा राम को 'अगस्ति पर्वत' उठाने को कहना, राम द्वारा उसे उठाना, सीता की खोज हेतु वानरों का प्रयाण, राम का हनुमान को मुद्रिका देना की कथा बताते हैं।

सुंदरकाण्ड

  • हनुमान का लंका जाकर सीता की खबर लाने की कथा हैं।
  • हनुमान के लौटने पर जाम्बवान गरुड़ के माता की कथा कहते है।
  • रावण द्वारा विभीषण के त्याग की कथा है।
  • ऋषि मातंग द्वारा नल को पथ्थर तेरने का वरदान
  • रावण राम का कटा मस्तिष्क सीता को दिखाता है।
  • अंगद का रावण की सभा मे जाना और माया सीता से मिलने की कथा

युद्धकाण्ड

  • इसमें सभी रामायण अनुसार है केवल जब मेधनाद सर्पास्त्र छोडता है तब नारद आकर राम से गरुड़ के आह्वान का सूचन देते हैं।

उत्तरकाण्ड

  • इसमें अगस्त्य द्वारा रावण का चरित्र वर्णित किया गया है।
  • इसमें केवल सीता का भूमिप्रवेश और राम के स्वर्गगमन की कथा नहीं हैं।

नाकर का महाभारत[३]

आदिपर्व

नाकर का आदिपर्व सेन्ट्रल लाइब्रेरी, वडोदरा है जिसमें २६ कडवे हैं पर यह अधूरी हैं।
  • इसका प्रारंभ जनमेजय के अश्वमेध और सरमा के शाप से होता है।
  • धौम्य के तीन शिष्यों की कथा।
  • आस्तिक की कथा
  • विनीता और गरुड़ का आख्यान
  • जरत्कारु के पुत्र की कथा
  • परीक्षीत को शाप
  • तक्षक का काश्यप और धन्वंतरि से मिलना
  • परीक्षित का अंत
  • आस्तिक का सर्पयज्ञ रोकना
  • उपरिचर, मत्स्यगंधा और व्यास जन्म की कथा
  • शकुंतला की कथा
  • कच-देवयानी की कथा
  • ययाति-शर्मिष्ठा की कथा
  • पुरु और अष्टक की कथा
  • पुरुवंश का वर्णन
  • कृति अधूरी होने से आगे की कथा अप्राप्य हैं।

सभापर्व

  • १ कडवुं - संक्षिप्त कथा और वंदन
  • २ कडवुं - नारद द्वारा राजसूय का सूचन
  • ३ कडवुं - अर्जुन का अभिमान और कुष्ण का क्रौध
  • अन्य कडवो मे द्रौपदी वस्त्राहरण, पांडवो का निर्वासन, द्रौपदी द्वारा कृष्ण की कटी अंगुली पर पट्टी बांधना ईत्यादि कथा हैं।

आरण्यकपर्व

नाकर के आरण्यकपर्व ११५ कडवे हैं।
  • १ से १० - संक्षिप्त का आदि और सभापर्व
  • ११ - पांडवो का वनवास
  • १२ और १३ - युघिष्ठिर का ऋषियों से संवाद
  • १४ और १५ - अर्क पात्र की कथा
  • १६ - काम्यकवन मे आना
  • १७ - विदुरागमन
  • १८ से २० - व्यास और मैत्रेय का धृतराष्ट्र से मिलना
  • २१ और २२ - किर्मीर वध
  • २३ से ३० - कृष्ण का पांडवो से मिलना और शिखण्डी तथा शाल्व की कथा
  • ३१ से ३३ - मार्कण्डेय ऋषि का आगमन
  • ३४ से ३६ - युधिष्ठिर का उपदेश
  • ३७ से ४३ - व्यास का आगमन और अर्जुन को सूचन देना, अर्जुन की तपश्चर्या और शिव से मिलना
  • ४४ और ४५ - अर्जुन का स्वर्ग जाना
  • ४६ और ४७ - धृतराष्ट्र का विषाद
  • ४८ से ५० - नल की कथा
  • ५१ से ५३ - नारद का आना
  • ५४ - तीर्थयात्रा
  • ५५ से ५७ - शिबी की परीक्षा
  • ५८ से ६१ - तीर्थयात्रा और बदरी जाना
  • ६२ से ६९ - भीम पुष्प हेतु युद्ध और निवारण
  • ७० - जटासुर का वध
  • ७१ - लोमश.ऋषि का युधिष्ठिर को आश्वासन
  • ७२ और ७३ - मणिमान का वध
  • ७४ से ८५ - निवातकवच का अंत
  • ८६ से ८८ - युधिष्ठिर द्वारा नहुष के प्रश्नों का उत्तर देकर भीम को छुडवाना
  • ८९ से ९१ - ऋषियों का आगमन
  • ९२ और ९३ - ताक्ष्र्य की कथा
  • ९४ - मनु की कथा
  • ९५ से ९७ - मार्कण्डेय की कथा
  • ९८ - मण्डुक कन्या की कथा
  • ९९ और १०० - इन्द्रघुम्न और धुन्धुमार की कथा
  • १०१ - पतिव्रता और धर्मव्याध की कथा
  • १०२ - कार्तिक की कथा
  • १०३ - मृग का स्वप्न
  • १०४ से १०९ -यक्षप्रश्नोत्तर
  • ११० - धोषयात्रा
  • १११ से ११३ - कुष्ण द्वारा पांडवो की दुर्वासा से रक्षा
  • ११४ - मुद्गल की कथा
  • ११५ - द्रौपदीहरण

विराटपर्व

नाकर के विराटपर्व ६५ कडवे है।
  • १ से २१ - पूर्वकथा
  • २२ से ३५ - देवीस्तुति और पांडवो का विराटनगर में आना
  • ३६ से ४१ - भीम द्वारा जीमूत का वध
  • ४२ से ५५ - भीम द्वारा कीचक का वध
  • ५६ से ६३ - कौरवों का गोहरण और अर्जुन द्वारा पराजित होना
  • ६४ और ६५ - अभिमन्यु और उत्तरा का विवाह

भीष्मपर्व

 नाकर का भीष्मपर्व गुजरात विद्यासभा मे हैं जिसके ४३ कडवे हैं।
  • प्रथम ३० कडवो मे संजय द्वारा सेना की संख्या, राजाओं के नाम, अर्जुन का विषाद, भगवद्गीता और दो दिनों के युद्ध का वर्णन हैं और इसका अंत भीष्म की शरशैया से होता हैं।
  • नाकर के भीष्मपर्व की प्रति अति जीर्ण हैं और कुछ पृष्ठ भी नहीं हैं।

शल्यपर्व

नाकर के शल्यपर्व के १० कडवे हैं।
  • १ और २ - पूर्वकथा
  • ३ से ७ - कृष्ण का कर्ण से ब्राह्मण से मिलना, मयदानव द्वारा युधिष्ठिर को सांग देने की कथा
  • ८ से १० - युद्ध और दुर्योधन का भाग जाना

गदापर्व

 नाकर का गदापर्व सेन्ट्रल लाइब्रेरी, वडोदरा मे हैं जिसके ३७ कडवे हैं।
  • युधिष्ठिर का तलाब मे छुपे दुर्योधन से बात करना
  • कृष्ण द्वारा राम की कथा
  • दुर्योधन का तालाब से बाहर निकलना और बलराम का आगमन
  • बलराम द्वारा चंद्र की कथा कहना
  • चंद्र शाप की कथा
  • अद्रश्य सरस्वती की कथा
  • २७ से ३६ - भीम का दुर्योधन से युद्ध और दुर्योधन की पराजय
  • ३७ - अश्वस्थामा का दुर्योधन से मिलना

सौप्तिकपर्व

नाकर के सौप्तिकपर्व के ९ कडवे हैं
  • सौप्तिकपर्व मे अश्वस्थामा शिव स्तुति कर पांडवो के पुत्र का वध होता हैं और पांडवों द्वारा अश्वत्थामा से मणि छीन कर द्रौपदी को प्रसन्न करने की कथा हैं।
  • यहां केवल एक परिवर्तन है की कृष्ण जब पांडवो के साथ स्नान करने जाते हैं तब पांडवपुत्र जाने से मना करते हैं जिससे अश्वत्थामा उनकी हत्या करते हैं।

स्त्रीपर्व

नाकर की महाभारत के स्त्रीपर्व के ९ कडवे है और उसके आगे से अधूरा हैं।
  • इसमें धृतराष्ट्र द्वारा भीम की मूर्ति भंग करना, गांधारी का विलाप और शाप एवं कुंती द्वारा कर्णजन्म का रहस्य कहने की कथा हैं।