नांदेड़
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सचखण्ड श्री हजूर साहिब | |
उपनाम: "संस्कृत कवियों का नगर", "गुरुद्वारों का नगर" | |
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निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag/core |
प्रान्त | महाराष्ट्र |
ज़िला | नांदेड़ ज़िला |
स्थापना | 1610 ई |
नाम स्रोत | सचखण्ड गुरुद्वारा |
शासन | |
• प्रणाली | महानगरपलिका |
• सभा | नांदेड़-वाघाला नगरपालिका परिषद |
क्षेत्र | साँचा:infobox settlement/areadisp |
ऊँचाई | साँचा:infobox settlement/lengthdisp |
जनसंख्या (2011) नांदेड़-वाघाला की कुल जनसंख्या[१] | |
• कुल | ५,५०,४३९ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषा | |
• प्रचलित | मराठी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 431601 से 431606 |
दूरभाष कोड | 02462 |
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोड | IN-MH |
वाहन पंजीकरण | MH-26 |
वेबसाइट | www |
नांदेड़ (Nanded) भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित एक नगर है। यह नांदेड़ ज़िले का मुख्यालय है और महाराष्ट्र का आठवाँ सबसे बड़ा शहर है। नांदेड़ दक्कन के पठार में गोदावरी नदी के तट पर बसा हुआ है।[२][३]
विवरण
नन्दा तट के कारण इस शहर का नाम नान्देड़ पड़ा। यह सिख तीर्थस्थल भी है जहाँ गुरु गोविन्द सिंह का देहान्त हुआ था। नांदेड़ स्थित सचखंड गुरूद्वारा यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। गुरु गोविन्द सिंह का जन्मदिन यहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। राज्य सरकार ने इसे पवित्र शहर घोषित कर रखा है। प्रारम्भ में नंदीग्राम नाम से चर्चित यह शहर मुम्बई से 650 किलोमीटर और हैदराबाद से 270 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्राचीन काल में यह शहर वेदान्त की शिक्षा, शास्त्रीय संगीत, नाटक, साहित्य और कला का प्रमुख केन्द्र था। सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व में नंदा तट मगध साम्राज्य की सीमा थी। प्राचीन काल में यहां सातवाहन, बादामी के चालुक्यों, राष्ट्रकूटों और देवगिरी के यादवों का शासन था। मध्यकाल में बहमनी, निजामशाही, मुगल और मराठों ने यहां शासन किया। जबकि आधुनिक काल में यहां हैदराबाद के निजामों और अंग्रेजों का अधिकार रहा।
प्रमुख आकर्षण
महानुभाव पंथ तीर्थस्थान
८०० वर्ष पूर्व भगवान श्री चक्रधर स्वामी पदस्पर्शीत द्विज गोरक्षण तीर्थस्थान और भावेश्वर मंदिर, इन दोनों स्थानों पर देशभर से महानुभाव पंथ के भक्तगण आते है, तथापूर्णिमा के दिन बड़ी संख्या में भीड़ होती है, परमेश्वर के चरणों से पुन्यपावन होने वाला यह एक मात्र स्थान नांदेड शहर में उपलब्द है, भगवान श्री चक्रधर स्वामी जी का यहाँ कुछ दिन निवास था।साँचा:cn
सचखण्ड गुरूद्वारा
नांदेड़ नगर में स्थित यह गुरूद्वारा पंजाब के शासक महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1830 से 1839 के दौरान बनवाया गया था। यह गुरूद्वारा सिक्खों के प्रमुख तीर्थस्थलों में गिना जाता है। सचखंड श्री हुजूर अबचल नगर साहिब गुरूद्वारा पंजाब के स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर बना है। इसी स्थान पर सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह ने अंतिम सांसे ली थीं। हर साल यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना होता है। सचखंड गुरूद्वारे के निकट ही आठ अन्य गुरूद्वारे बने हुए हैं।
माहुर
इस तीर्थस्थल का महत्त्व महाराष्ट्र के प्रमुख शक्तिपीठ की वजह से है। माहूर गांव से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर रेणुका देवी का मंदिर है जो एक पहाड़ी पर बना हुआ है। इस मंदिर की नीव देवगिरी के यादव राजा ने आठ से नौ सौ साल पहले डाली थी। दशहरा के अवसर पर यहां एक पर्व आयोजित किया जाता है और देवी रेणुका की पूजा की जाती है। देवी रेणुका, परशुराम की मां और भगवान विष्णु का अवतार मानी जाती थीं। मंदिर के चारों तरफ घने जंगल हैं। जंगली जानवरों को यहां घूमते हुए देखा जा सकता है।
बिलोली की मस्जिद
बिलोली नगर में स्थित यह मस्जिद को 17वीं शताब्दी के अंत में हजरत नवाब सरफराज खान ने बनवाया था। सरफराज खान औरंगजेब के शासनकाल में मुगलों के सिपहसालार थे। पत्थरों को काटकर बनाई गई बिलोली की मस्जिद नवाब सरफराज नाम से लोकप्रिय है।
कंधार किला
नगर के बीचोंबीच स्थित कंधार किला यहां का मुख्य आकर्षण है। पानी से भरी एक नहर किले से होकर गुजरती है। इस किले की स्थापना का श्रेय राष्ट्रकूट राजा कृष्ण तृतीय को जाता है, जो कंधारपुराधीश्वर नाम से लोकप्रिय थे। किले की निकट ही पहाड़ी क्षेत्र में एक प्राचीन दरगाह है। इस किले का निर्माण निजामशाही के काल में हुआ और यह वास्तुकला की अहमदनगर शैली में बना हुआ है।
मालेगांव
'तालुक लोहा' नाम से प्रसिद्ध मालेगांव नांदेड़ से 57 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भगवान खंडोबा के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए यहां एक मेला लगता है जिसे 'मालेगांव यात्रा' नाम से जाना जाता है। इस मेले में पशुओं की प्रदर्शनी लगती है जिसे देखने के लिए देश के अनेक भागों से लोग यहाँ आते हैं।
होट्टल
देगलूर ताल्लुक में स्थित होट्टल देगलूर से 8 किलोमीटर दूर है। भगवान सिद्धेश्वर के मंदिर के कारण यह स्थान लोकप्रिय है। मंदिर में चालुक्य काल की अनेक विशेषताएं देखी जा सकती हैं। यह मंदिर पत्थरों को काटकर बनाया गया है।
नांदेड़ किला
नांदेड़ का किला रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर दूर स्थित है। किला तीन ओर से गोदावरी नदी से घिरा हुआ है। किले के भीतर एक खूबसूरत बगीचा और सुंदर फव्वार हैं जो इसकी सुंदरता में बढोतरी करता हैं।
उनकेश्वर
गर्म पानी का यह झरना पेनगंगा नदी के तट पर स्थित है। माना जाता है यह प्राकृतिक झरना अद्भुत रसायनों से युक्त है जिससे त्वचा के अनेक रोग ठीक हो जाते हैं।
आवागमन
- वायु मार्ग
यहां श्री गुरु गोविंद सिंग जी नांदेड़ एयरपोर्ट है जो देश के अनेक घरेलू हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है। मुंबई, अमृतसर से यहां के लिए प्रतिदिन फ्लाइटें है|
- रेल मार्ग
नांदेड़ रेलवे स्टेशन मुंबई, पुणे, बंगलुरू, चेन्नई, दिल्ली, अमृतसर, चंडीगढ़, भोपाल, इंदौर, आगरा, हैदराबाद, जयपुर, अजमेर, नागपुर, औरंगाबाद और नासिक आदि शहरों से रेलगाड़ियों के माध्यम से सीधा जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग
नांदेड़ आसपास के अनेक शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन की बसें और अनेक निजी वाहन मुंबई, पुणे, हैदराबाद आदि शहरों से नांदेड़ के लिए नियमित रूप से जाते रहते हैं।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ "RBS Visitors Guide India: Maharashtra Travel Guide," Ashutosh Goyal, Data and Expo India Pvt. Ltd., 2015, ISBN 9789380844831
- ↑ "Mystical, Magical Maharashtra," Milind Gunaji, Popular Prakashan, 2010, ISBN 9788179914458