धल विद्रोह

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धल विद्रोह (1767 से 1777 ) झारखंड प्रदेश में अंग्रेजों के विरुद्ध प्रथम विद्रोह था। 'धल विद्रोह' का अर्थ है धल राजा के नेतृत्व में सम्पूर्ण धल राज्य की जनता का विद्रोह।

झारखण्ड में अंग्रेजों का आगमन सर्वप्रथम सिंहभूम-मानभूम की ओर से हुआ। अंग्रेजो के विरुद्ध सबसे पहले बिगुल इसी क्षेत्र में बजा था। 1769 ई. में अंग्रेजो के सिंहभूम में प्रवेश के तुरन्त बाद धालभूम के अपदस्थ राजा जगन्नाथ धल के नेतृत्व में एक व्यापक विद्रोह हुआ, जिसे धल विद्रोह के नाम से जाना जाता है। धल विद्रोह 10 वर्षो तक चलता रहा। अंग्रेजी कंपनी ने इस विद्रोह के दमन हेतु लेफ्टिनेन्ट रुक एवं चार्ल्स मैगन को भेजा गया , किन्तु उन्हें सफलता नहीं मिली। 1777 ई. में अंग्रेजी कम्पनी ने जगन्नाथ धल को पुनः धालभूम का राजा स्वीकार करने के पश्चात यह विद्रोह शान्त हुआ। राजा बनने के बदले में जगन्नाथ धल ने अंग्रेजी कम्पनी को तीन वर्षो में क्रमशः 2000 रूपये , 3000 रूपये तथा 4000 रूपये वार्षिक कर के रूप में देना स्वीकार किया। 1800 ई. में इस राशि को बढ़ाकर 4267 रूपये कर दिया गया।

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