धनंजय चटर्जी

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धनंजय चटर्जी अथवा धन्नजय चटर्जी (जन्म १४ अगस्त १९६५, कुलुड़ीही, पश्चिम बंगाल, भारत - १४ अगस्त २००४, अलीपोर जेल, कोलकाता (कलकत्ता), भारत) बंगाली हिन्दू कुलीन ब्राह्मण परिवार में पैदा हुआ एक बलात्कारी एवम हत्यारा था जोकि सुरक्षा कर्मी की नौकरी करता था। उसे 15 साल की किशोरी हेतल पारिख के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या करने के आरोप में फांसी की सजा दी गयी थी। उसने इस दुष्कर्म को ५ मार्च १९९० को भवानीपुर में हेतल के निवास पर अंजाम दिया था। चटर्जी, जिसकी दया याचिका को ४ अगस्त को खारिज कर दिया गया था, को लगभग 14 वर्षों के लिए अलीपुर(Alipore Jail) में रखा गया था। उनकी सजा का दिन २५ जून निर्धारित किया गया था लेकिन उनके परिवार द्वारा भारत के उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने के बाद इसे रोक दिया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ॰ एपीजे अब्दुल कलाम के साथ एक दया याचिका दायर की। परिवार के निष्पादन में भाग लेने और शव लेने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उन्हें केवल जिन्दा चाहिए। राष्ट्रपति कलाम द्वारा दया याचिका ठुकराने की रिपोर्ट जब उसके घर वालो को सौंपी गयी तो उन्होंने वह रिपोर्ट भी लेने से मना कर दिया , तब पुलिस ने नोटिस को उनके घर के आगे चिपका दिया। चटर्जी की फांसी का दिन जेल अधिकारी बिश्वनाथ चौधरी के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक में निर्धारित किया गया। 14 अगस्त, 2004 को सुबह 6 बजे फांसी की खबर रेडियो पर सुनकर घर वालो ने मातम और रोना धोना चालू कर दिया, शव लेने से साफ़ इंकार कर दिया। १९९३ के बाद अलीपुर में प्रथम फांसी थी। इससे पूर्व हत्या के आरोपी कार्तिक सिल और सुकुमार बर्मन को वहां लटकाया गया था। भारत में १९९५ के बाद यह प्रथम फांसी थी, २७ अप्रैल १९९५ को ऑटो शंकर को फांसी की सजा  दी गयी थी। चूंकि दोषी के साथ लगभग पूरा कलकत्ता खड़ा था , तब भी उसे उसके बुरे कामों की सजा जरूर मिली।

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