द इम्पीरियल, नई दिल्ली
दि इम्पीरियल, नयी दिल्ली में बना हुआ एक विलासिता वाला होटल है। यह क्वीन्सवे में पड़ता है जिसे कि आज कल जनपथ कहा जाने लगा है तथा यह दिल्ली में कनाट प्लेस के निकट ही पड़ता है। तथ्यों की मानें तो यह नयी दिल्ली का पहला ग्रैंड विलासिता वाला होटल है। इस होटल में एक बेजोड़ स्वतंत्र कलाकृतियों का संग्रह भी है।[१][२]
इतिहास
इस होटल का प्रारंभ १९३१ में किया गया था। इस होटल का वास्तु विक्टोरियन तथा औपनिवेशिक शैली के मिश्रण का परिणाम है, जिसे की आर्ट डेको स्टाइल की झलक देते हुए बनाया गया है। इसके शिल्पी डी. जे. ब्लूमफील्ड थे जो कि एडविन ल्युतिनस के सहयोगी थे, जिन्होनें कि ब्रिटिश राज की राजधानी दिल्ली की डिजाईन तैयार की थी तथा उसी साल उसका लोकार्पण भी किया था। इम्पीरियल का निर्माण एस.बी.एस. रंजित सिंह के द्वारा किया गया था जो की ब्रिटिश राज द्वारा सम्मान प्राप्त आर. बी. एस. नरेन सिंह के पुत्र थे। जिनका सम्मान १९११ के राज्याभिषेक दरबार में किया गया था जब की दिल्ली को कलकत्ता के स्थान पर भारत की राजधानी घोषित किया गया था।[३]
निर्माण
होटल का बहालीकरण इसके जनरल मेनेजर तथा वाईस प्रेसिडेंट हरविंदर सेखों महोदय द्वारा १९९६ तथा २००१ के बीच किया गया था। हरविंदर सेखों महोदय नें होटल में ६ रेस्टुरेंट तथा बार भी खोले जिन्हें क्रमशः “स्पाइस रूट”, “पटियाला पेग बार”, “१९११ रेस्टुरेंट एंड बार”, “डेनिअल्स टेवर्न” तथा “सन गिमिग्नाओ” के नाम से जाना जाता है।
इस दौरान इस होटल को नीदरलैंड की महारानी, हॉलीवुड एवं बॉलीवुड अभिनेता - अभिनेत्रियों तथा चोटी पर के व्यवसायियों के आतिथ्य का अवसर मिला। यह होटल अपने बेजोड़ कलाकृतियों के संग्रह के कारण हर समय चर्चा का केंद्र बनता रहा है वहीँ इसका ऐतिहासिक महत्त्व भी रहा है।[१]
विरासत
होटल इम्पीरियल को अपनी विरासत तथा उत्तरदान के लिए भली भांति जाना जाता है। इसके अन्दर ही एक सुप्रसिद्ध बार था जिसे ‘पटियाला पैग’ कहा जाता था। यह वही बार था जहाँ पर जवाहर लाल नेहरु, महात्मा गाँधी, मोहम्मद अली जिन्ना तथा लार्ड माउंटबेटन भारत के विभाजन तथा पकिस्तान के जन्म की चर्चा करने के लिए मिले थे। अतएव यह कहना की भारत की वर्तमान स्थिति के निर्धारण में इस होटल का बहुमूल्य योगदान है, गलत न होगा। यह अलीगढ के एक विद्यालय का नाम भी है।[१]
संग्रह
आज यह नयी दिल्ली का सबसे बड़ा संग्रहालय है जिसमें कि औपनिवेशिक और उत्तर औपनिवेशिक कला और कलाकृतियों का ऐसा भरपूर संग्रह है जो की नयी दिल्ली में अन्यत्र कहीं भी नहीं है। इसमें एक संग्रहालय तथा कला प्रदर्शनी भी है।[१][४]
अन्य अध्ययन
- विलिअम वारेन, जिल गोशेर (2007). एशियाज लीजेंडरी होटल्स: दि रोमांस ऑफ़ ट्रेवल. सिंगापूर: पेरीप्लस संस्करण. आई-एस-बी-एन 978-0-7946-0174-4.
- किम इंग्लिस, जेकब तेर्मंसें, पिया मेरी मोल्बेक (2004). कूल होटल्स:इंडिया, मॉल दीव्, श्री लंका, सिंघापुर: पेरीप्लस संस्करण. आई-एस-बी-एन 0-7946-0173-1.