द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध

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द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध
Second Anglo–Mysore War
आंग्ल-मैसूर युद्ध का भाग
SiegeOfCuddalore1783.jpg
कुड्डालोर कि 1783 घेराबंदी में कार्रवाई का चित्रण.
तिथि 1780–1784
स्थान दक्षिण भारत
परिणाम मैंगलोर की संधि
युद्ध से पहले यथास्थिति
योद्धा
साँचा:flagicon image मैसूर साम्राज्य
फ्रांस का राज्य
डच गणराज्य
साँचा:flagicon image ईस्ट इंडिया कंपनी
ग्रेट ब्रिटेन का राज्य
सेनानायक
साँचा:flagicon image हैदर अली
साँचा:flagicon image टीपू सुल्तान
साँचा:flagicon image करीम खान साहिब
साँचा:flagicon image सईद साहिब
साँचा:flagicon image सरदार अली खान साहिब
साँचा:flagicon image मकदम अली
साँचा:flagicon image कमालुद्दीन
एडमिरल सफ़्रेन
मारकुस दे बुसस्य
साँचा:flagicon image सर आइर कुटे
साँचा:flagicon image हेक्टर मुनरो
एडवर्ड ह्यूजेस

द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 1780 से 1784 ई. तक चला। अंग्रेज़ों ने 1769 ई. की 'मद्रास की सन्धि' की शर्तों के अनुसार आचरण नहीं किया और 1770 ई. में हैदर अली को, समझौते के अनुसार उस समय सहायता नहीं दी, जब मराठों ने उस पर आक्रमण किया। अंग्रेज़ों के इस विश्वासघात से हैदर अली को अत्यधिक क्षोभ हुआ था। उसका क्रोध उस समय और भी बढ़ गया, जब अंग्रेज़ों ने हैदर अली की राज्य सीमाओं के अंतर्गत 'माही' की फ़्राँसीसी बस्तीयों पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया। उसने मराठा और निज़ाम के साथ 1780 ई. में 'त्रिपक्षीय सन्धि' कर ली, जिससे 'द्वितीय मैसूर युद्ध' प्रारंभ हो गया।

गवर्नर जनरल Warren Hastings था,[१]

अंग्रेज़ों का विश्वासघात

1769 ई. में की गई 'मद्रास की संधि' का पालन अंग्रेज़ों ने नहीं किया। 1770 ई. में मराठा पेशवा माधवराव ने हैदर अली पर आक्रमण कर दिया। हैदर के अनुरोध करने पर भी अंग्रेज़ी सेना ने उसका साथ नहीं दिया। 19 मार्च, 1779 को अंग्रेज़ों ने 'माही' पर अधिकार कर लिया। माही हैदर अली के अधिकार क्षेत्र में स्थित एक छोटी फ़्राँसीसी बस्ती थी। माही पर अंग्रेज़ों के अधिकार ने हैदर की सहन शक्ति को तोड़ दिया। हैदर अली का अब अंग्रेज़ों से लड़ना अपरिहार्य हो गया था। फ़रवरी, 1780 में हैदर अली अंग्रेज विरोधी गुट में शामिल होकर जुलाई, 1780 में लगभग 80,000 आदमियों एवं बन्दूक धारियों से युक्त सेना को लेकर कर्नाटक के मैदान में पहुँचा और साधारण सी झड़प में कर्नल बेली के नेतृत्व में अंग्रेज़ी सेना को हराते हुए अर्काट पर अधिकार कर लिया।.[२]

हैदर अली की पराजय और मृत्यु

प्रथम और द्वितीय एंग्लो-मैसूर युद्धों के लिए मानचित्रT

तत्कालीन गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने हैदर अली के मुकाबले के लिए आयरकूट को दक्षिण भेजा, जिसने अपनी सफल कूटनीति से महादजी सिंधिया और निज़ाम को अंग्रेज़ विरोधी गुट से अलग करने में सफलता प्राप्त की। गुट के बिखर जाने पर भी हैदर अली के उत्साह में कोई कमी नहीं आयी, वह डट कर अंग्रेज़ों का मुकाबला करता रहा। परन्तु 1781 ई. में सर आयरकूट द्वारा हैदर अली पोर्टोनोवो में पराजित कर दिया गया। युद्ध में मिली पराजय के कारण मिली मानसिक क्षति के कारण 7 दिसम्बर, 1782 को हैदर अली की मृत्यु हो गई। अंग्रेज़ों की ओर से सफलता अर्जित करने वाले सर आयरकूट की भी मद्रास में अप्रैल, 1783 में मृत्यु हो गई। हैदर अली ने अंग्रेज़ों की शक्ति के विषय में कहा था।

सन्धि

इस युद्ध के बीच ही हैदर अली की मृत्यु हो गई थी, किंतु उसके पुत्र और उत्तराधिकारी टीपू सुल्तान ने युद्ध जारी रखा और बेदनूर पर अंग्रेज़ों के आक्रमण को असफल करके मंगलोर जा घेरा। अब मद्रास की सरकार ने समझ लिया कि आगे युद्ध बढ़ाना उसकी सामर्थ्य के बाहर है। अत: उसने 1784 ई. में सन्धि कर ली, जो मंगलोर की सन्धि कहलाती है, और जिसके आधार पर दोनों पक्षों ने एक दूसरे के भू-भाग वापस कर दिए।.[३]

सन्दर्भ

  1. Hanoverians, Germans, and Europeans: Colonial Identity in Early British India, Chen Tzoref-Ashkenazi, Central European History, Vol. 43, No. 2 (JUNE 2010), 222.
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  3. Tim Willasey-Wilsey 'In Search of Gopal Drooge and the Murder of Captain William Richardson, The Journal of the Families in British India Society, no 31 Spring 2014 pp. 16-15.