द्रविड़ आंदोलन
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द्रविड़ आंदोलन की शुरुआत 1916 में, मद्रास में जस्टिस पार्टी की स्थापना से हुई मानी जाती है।[१] जस्टिस पार्टी अथवा दक्षिण भारतीय लिबरल फेडरेशन के नाम से जानी जाने वाली इस पार्टी के संस्थापक टी. एम. नायर और पी. त्यागराज चेट्टि थे। 1939 में ई वी के रामास्वामी 'पेरियार' इस दल के अध्यक्ष बने और 1944 में उन्होंने इसे द्रविड़ कज़गम नाम देकर चुनावों से अलग कर लिया और सामाजिक आन्दोलन का रूप दिया।[२] बाद में पेरियार के सहयोगी सीएन अन्नादुरै ने इस दल से अलग होकर 17 सितंबर, 1949 में द्रविड़ मुनेत्र कडगम (डीएमके) की स्थापना की।[३]