दो बैलों की कथा
दो बैलों की कथा 1931 में मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित हिन्दी कहानी है।
सारांश
'दो बैलों की कथा' प्रेमचंद द्वारा लिखित रचना है। प्रेमचंद अपनी रचनाओं के माध्यम से संदेश देने में माहिर हैं। समाज को अपनी रचनाओं के माध्यम से कैसे जगाया जाए, यह उन्हें बहुत अच्छी तरह आता है। यह कहानी सांकेतिक भाषा में यह संदेश देती है कि मनुष्य हो या कोई भी प्राणी हो, स्वतंत्रता उसके लिए बहुत महत्व रखती है। स्वतंत्रता को पाने के लिए लड़ना भी पड़े, तो बिना हिचकिचाए लड़ना चाहिए। जन्म के साथ ही स्वतंत्रता सबका अधिकार है, उसे बनाए रखना सबका परम कर्तव्य है। दो बैलों की कथा में बैलों के माध्यम से लेखक अपने विचार समाज के समक्ष रखता है। इस कहानी में दो मित्र बैल अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं। यह कहानी दो बैलों के बीच में घनिष्ट भावात्मक संबंध को दर्शाती है। यह कहानी मनुष्य और जानवर के बीच में उत्पन्न परस्पर संबंध का सुंदर चित्र भी प्रस्तुत करती है।
इन्हें भी देखें
- द एनिमल फॉर्म (जॉर्ज ओर्वेल का लघु अंग्रेजी उपन्यास)
बाहरी कड़ियाँ
- दो बैलो की कथा (हिन्दी विकिस्रोत पर)
- कुछ श्रेष्ठ कृतियां समुचित प्रकाश-प्रसार में नहीं (प्रेसनोट)
- दो बैलों की कथा मुंशी प्रेमचंद की कहानी