दोन नदी
दोन नदी (रूसी भाषा: Дон, दोन), जिसे अंग्रेज़ी में डॉन नदी (Don, डॉन) भी उच्चारित किया जाता है, रूस की एक प्रमुख नदी है। यह मास्को से दक्षिण-पूर्व में स्थित नोवोमोस्कोव्स्क (Новомоско́вск, Novomoskovsk) शहर के पास शुरू होती है और १,९५० किलोमीटर बहकर आज़ोव सागर में जा मिलती है। इस नदी के किनारे बसा सब से बड़ा शहर रोस्तोव-दोन-किनारे है (रूसी में इसे रोस्तोव-ना-दोनू Ростов-на-Дону कहते हैं और अंग्रेज़ी में रोस्तोव-ऑन-डॉन Rostov-on-Don, ताकि इसे रूस में स्थित अन्य रोस्तोव नामक नगरों से अलग बताया जा सके)। एक दोनेत्स (Северский Донец, सेवेर्सकी दोनेत्स) नाम की नदी भी अपना पानी आगे जाकर दोन नदी में विलय कर देती है।
इतिहास
माना जाता है कि दोन नदी का नाम इस इलाक़े में बसे हुए आर्य जाती के प्राचीन शक लोगों की भाषा से आया। यह लोग एक प्राचीन ईरानी या हिंद-ईरानी भाषा बोला करते थे जिसमें 'नदी' का शब्द 'दानु' था। यही शब्द आधुनिक ओसेती भाषा में 'दोन' (Дон, अर्थ: नदी) और पश्तो में 'डन्ड' (ډنډ, अर्थ: तालाब या सरोवर) के रूप में देखा जा सकता है। 'दानु' शब्द की संस्कृत में भी गहरी जड़े हैं। प्राचीन हिन्दू धर्म में 'दानु' नदियों की देवी थीं और 'दानु' शब्द का अर्थ 'दिव्य जल' और 'दिव्य नदी' था।[१][२]
दोन नदी के किनारे बसे कोस्त्येन्की गाँव में ४०,००० साल पुराने औज़ार मिले हैं जिनसे पत्थरों में छेद बनाए जा सकते हैं, यानी उस प्राचीन समय में भी मनुष्य इसके किनारे बसा करते थे। प्राचीन शक नाम 'दानु' यूनानियों द्वारा 'तानाईस' (Τάναϊς) बुलाया जाने लगा और यूनानी स्रोतों में इस नदी को इसी नाम से पुकारा जाता है। मध्यकाल में यहाँ पर तुर्कीभाषी ख़ज़र क़बीलों का जोर हो गया और उन्होंने दोन पर सारकिल (Sarkil या Sarkel) नामक एक बड़ा क़िला बनाया हुआ था। १६वीं और १७वीं शताब्दियों में इस क्षेत्र में रूसी-मूल के 'दोन कज़ाक' (उर्फ़ 'दोन कोसाक', Don Cossack) लोग आकर बस गए। यह वह स्वतन्त्र रूसी क़बीले थे जो रूसी सामाजिक व्यवस्था से बाहर थे और अपने लड़ाकेपन के कारण स्वतन्त्र रहे।