दुर्मुख
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दुर्मुख रामचन्द्र जी का एक गुप्तचर जिसके द्वारा वे अपनी प्रजा का वृत्तान्त जाना करते थे। इसी के मुँह से उन्होंने सीता का वह वृत्तान्त सुना था जिसके कारण सीता का द्वितीय वनवास हुआ था (उत्तररामचरित) ।
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