दुर्जय

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दुर्जय एक प्रसिद्ध दानव था जो कश्यप मुनि और दनु का प्रपौत्र था।

जन्म

दुर्जय का जन्म दैत्यराज नामक दानव के पुत्र रूप में सुदीक्षणा के गर्भ से हुआ था।

बदला लेने की जिद्द और दुर्जय का अंत

दैत्यराज का ब्रह्मा का वर लेने के पश्चात् भी वध हो गया। उसका वध माता वैष्णो देवी के हाथों हुआ था। जिससे उसका पुत्र दुर्जय आग बबूला हो गया। उसने असुरों का राजा स्वयं बनना स्वीकार किया और तपस्या नामक एक असुर कन्या से विवाह किया जिससे उसे भैरो नामक पुत्र प्राप्त हुआ। दुर्जय ने अपने पिता दैत्यराज की मृत्यु का बदला लेने के लिए माता वैष्णो देवी के राज्य पर हमला करने के लिए असुरों को भेजा। अन्त में दुर्जय के अत्याचार जब बढ़ने लगे तो माता वैष्णो देवी ने सुदर्शन चक्र से दुर्जय का सिर काट दिया और उसके धड़ से अलग कर दिया। दुर्जय के बाद भैरो असुरों का राजा बना लेकिन भैरो ने विवाह नहीं किया और शिवावतार गुरु गोरखनाथ जी से विधिव्रत तन्त्र साधना की शिक्षा ली। लेकिन इस शिक्षा के बाद भी वह माता वैष्णो देवी के हाथों मारा गया लेकिन माता वैष्णो ने उसे अपने से ऊंचा स्थान देकर पूजित होने का वर दिया।