दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और गैर-कृषि उपभोक्ताओं को विवेकपूर्ण तरीके से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करना के उद्देश्य से 20 नवंबर 2014 को प्रारंभ की गई। [१] प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रीमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
इस योजना के तहत कृषि और गैर–कृषि फीडर सुविधाओं को अलग –अलग किया जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण और उप - पारेषण प्रणाली को मजबूत किया जाएगा जिसमें वितरण ट्रांसफार्मर, फीडर और उपभोक्ताओं के लिए मीटर लगाना सम्मिलित होगा। योजना के अंतर्गत दोनों घटकों की कुल अनुमानित लागत 43,033 करोड़ रूपये हैं जिसमें पूरे क्रियान्वयन अवधि के लिए भारत सरकार द्वारा 33,453 करोड़ रूपये की बजट सहायता भी शामिल है। नोट इस योजना को राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के स्थान पर लाया गया है। [१]
बजट
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) द्वारा अगस्त 2013 में स्वीकृत ग्रामीण विद्युतीयकरण से संबंधित शेष कार्य के लिए वर्तमान में 12वीं और 13वीं पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत आरजीजीवीवाई के चल रहे कार्यों को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित किया जाएगा। इस कार्य के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 39,275 करोड़ रूपये की लागत को मंजूरी दी है, जिसमें 35,477 करोड़ रूपये की बजट सहायता भी शामिल है। 43,033 करोड़ रूपये के कुल प्रावधान के अतिरिक्त परिव्यय राशि भी दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित जाएगी।[१]
लक्ष्य एवं उद्देश्य
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत वितरण की अवधि में सुधार का लक्ष्य है। इसके साथ ही अधिक मांग के समय में लोड में कमी, उपभोक्ताओं को मीटर के अनुसार खपत पर आधारित बिजली बिल में सुधार और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की अधिक सुविधा दी जा सकेगी।
सन्दर्भ
- ↑ अ आ इ साँचा:cite web