दाबलंघिका
दाबलंधिका वा साइफन (Siphon या Syphon) न्यून कोण पर मुड़ी हुई नली के रूप का एक यंत्र होता है, जिससे तरल पदार्थ एक पात्र से दूसरे में तथा नीचे स्तर में पहुँचाया जाता है।
साइफन की क्रिया पूर्वोक्त नली के दोनों सिरों पर दाब के अंतर के कारण होती है और जब पात्र खाली हो जाता है, या दोनों पात्रों में तरल पदार्थ का स्तर समान हो जाता है, तब बहाव रुक जाता है। इस यंत्र के द्वारा बीच में आनेवाली ऊँची रुकावटों के पार भी तरल पदार्थ, शक्ति का व्यय किए बिना, भेजा जा सकता है। साधारण साइफन की नली को स्थानांतरित किए जानेवाले तरल पदार्थ से भर दिया जाता है और उसके लंबे अंग के सिरे को अंगुली से बंद कर, छोटी बाँह के सिरे को तरल पदार्थ में डुबा और लंबी बाँह के सिरे को दूसरे पात्र में कर, अंगुली हटा लेते हैं। तरल पदार्थ का दूसरे पात्र में बहना अपने आप आरंभ हो जाता है। ऐसे साइफन को प्रयोग से पहले प्रत्येक बार भरना आवश्यक होता है।
विविध उपयोगों के लिए इस यंत्र के अनेक रूप प्रचलित हैं। कुछ में नली को भरने के, या उसे भरे (और इस प्रकार आवश्यकता होने पर स्वयं चालू होने योग्य बनाए) रखने के, उपकरण हाते हैं। साइफन के सिद्धांत पर काम करनेवाले नलों से बहुधा जल को पहाड़ियों या टीलों पर, ऊँची नीची भूमि से होते हुए, किसी घाटी के पार पहुँचाने का काम लिया जाता है। ऐसे साइफनों में टीले या ऊँचाई पर स्थित नल में फँसी हुई वायु के निकास के लिए एक वाल्व का होना आवश्यक है। सोडावटर से भरे हुए बर्तनों में स उसे निकालने के लिए जो साइफन लगाए जाते हैं उनकी नली में एक स्प्रिंग वाल्व लगा रहता है, जो एक लीवन दबाने पर खुल जाता है और सोडावाटर की गैस के दबाव से जल बाहर निकल आता है।
साइफन के अन्य अनेक उपयोग हैं।
बाहरी कड़ियाँ
- The Straight Dope: How Does A Siphon work?
- Pnematics of Hero of Alexandria - Interesting Applications of Siphons