दग्धाक्षर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

दग्धाक्षर वे अक्षर हैं जिन्हें छंदशास्त्र में अशुभ माना जाता है। इनका प्रारंभ में प्रयोग से छंद को दूषण माना जाता है, व कवि पर विपत्ति की संभावना रहती है। इसलिए आचार्यों ने इनके आरंभ में प्रयोग को वर्जित माना है। अर्थात् काव्य के आरंभ में इनका प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। पहले इनकी संख्या १९ मानी जाती थी परन्तु आगे नए कवियों ने इनकी संख्या घटाकर ५ कर दी है।[१]

ये ५ दग्धाक्षर निम्न हैं:

झ, ह, र, भ ,ष

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

साँचा:stub