त्वग्वसास्राव
त्वग्वसास्राव (त्वचा वसा स्राव / Seborrhoea) रोग त्वचा की वसा निकालने वाली ग्रंथियों के अतिस्रवण या अतिफलन से उत्पन्न होता है। स्वस्थ शरीर में भी त्वग्वसास्राव होता है, लेकिन रोगी के स्राव का रंग, रूप और गंध और ही होती है। साधारण स्राव सूखकर पपड़ी जैसा, शल्कि प्रधान मल बन जात है। कान का खूँट, उपस्थ प्रदेश का शिश्नमल और नवजात शिशु के शरीर का भ्रूणमल (vernix) त्वग्वसास्राव से ही बनते हैं।
यह रोग यदि तरुणाई के आंरभ में उत्पन्न हुआ तो भरी जवानी में कम होने लगता है। रक्त की कमी, कब्जियत, आमाशय और गर्भाशय के दोष और चिंता के कारण यह रोग हुआ करता है। आर्द्र और उष्ण जलवायु में यह रोग आसानी से पनपता है।
साधारणतया यह रेग अपने आप कालांतर में ठीक हो जाता है, किंतु इसमें कई प्रकार के मुहाँसे, फुंसियाँ आदि त्वचार्तियों का जन्म होता है। सफाई से रहने और विंटामिनों के प्रयोग से रोग का निवारण होता है।
बाहरी कड़ियाँ
- Seborrheic Dermatitis- Prime Health Channel
- Seborrheic Dermatitis Disease description in Spanish