त्रिविक्रम भट्ट
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त्रिविक्रमभट्ट | |
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जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
मृत्यु स्थान/समाधि | साँचा:br separated entries |
व्यवसाय | लेखक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विधा | संस्कृतसाहित्यक्षेत्रे सभंगश्लेषशैल्या चम्पूकाव्यलेखनम् |
विषय | चम्पूकाव्य |
उल्लेखनीय कार्यs | नलचम्पू, मदालसा चंपू |
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त्रिविक्रमः भट्ट, नलचम्पू तथा मदालसाचम्पू के रचयिता हैं। वे सिंहादित्य नाम से भी प्रसिद्ध हैं। उपलब्ध चम्पूकाव्यों में नलचम्पू साहित्यिकदृष्टि से प्रप्रथ तथा महत्त्वपूर्ण साहित्य अस्ति। त्रिविक्रभट्ट प्रौढ कवि थे, अतः उनकी रचना में भी पौढ शैली का दर्शन होता है। क्रियापदों की विविधता, शब्दरूपों का विशिष्टप्रयोग उनकी रचनाओं में देखा जा सकता है।पंडित बलदेव उपाध्याय जी ने कहा है-इनकी रचना में श्लेष अलंकार का इतना सुंदर प्रयोग किया है जो किसी और द्वारा नहीं हो पाया है,जिसका झलक नलचम्पू में देखने को मिलता है।