तैत्तरीय आपस्तम्ब

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तैत्तरीय आपस्तम्ब

आपस्तम्ब का अर्थ है- शाखा. अत्यंत महत्वपूर्ण प्राचीनतम दस उपनिषदों में सातवां तैत्तरीयोपनिषद् है जो कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तरीय आरण्यक का 7, 8, 9वाँ प्रपाठक है और शिक्षावल्ली, ब्रह्मानंदवल्ली और भृगुवल्ली इन तीन खंडों में विभक्त है। शिक्षावल्ली में 12 अनुवाक और 25 मंत्र, ब्रह्मानंदवल्ली में 9 अनुवाक और 13 मंत्र तथा भृगुवल्ली में 19 अनुवाक और 15 मंत्र हैं। शिक्षावल्ली को सांहिती उपनिषद् एवं ब्रह्मानंदवल्ली और भृगुवल्ली को वरुण के प्रवर्तक होने से वारुणी उपनिषद् या विद्या भी कहते हैं। आन्ध्र के तैलंग ब्राह्मण इस का अनुसरण और पाठ करते हैं।साँचा:ifsubst