तारा तारिणी मंदिर

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तारा तारिणी मंदिर
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नबीकरण किया गया मंदिर
धर्म संबंधी जानकारी
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अवस्थिति जानकारी
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ज़िलाGanjam
राज्यOdisha
देशIndia
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वास्तु विवरण
प्रकारKalinga Architecture / Hindu temple architecture
निर्मातासाँचा:if empty
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अभिलेखAt the Foot Hill of the Shrine (Shiv Temple)
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वेबसाइट
http://taratarini.nic.in/

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पौराणिक ग्रंथों पहचान चार प्रमुख शक्ति पीठ , जो तंत्र पीठ का मनन्यता रखे है वो  इसी प्रकार रहे। ब्रह्मपुर का माँ तारा तारिणी पीठ( स्थन ) , पूरी जगन्नाथ मंदिर के परिसर पर रहे बिमला ( पाद ), गुवाहाटी का कमक्षया पीठ ( जोनि पीठ) और कोलकाता का दक्षिण कालिका ( मुख खंड )  । 

कालिका पुराण भी इस तथ्य को मान्यता देता है और इसमें वर्णित एक श्लोक में कहा गया है :

‘बिमल़ा पादखंडनच स्तनखंडनच तारिणी

कामाख्या योनिखंडनच मुखखंडनच कालिका

अंग प्रत्यंग संगेन विष्णुचक्र क्षेतेन्यच’

उन चार शक्तिपीठों में विमला में पादखंड, तारातारिणी में स्तनखंड, कामाख्या में योनिखंड और दक्षिण कालिका में मुख खंड पड़ने के कारण चारों पीठों को मुख्य शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है। देवी भागवत के अनुसार श्रीहरि विष्णु अनुरोध पर शनि देवी के शरीर में प्रवेश किए और शरीर को 108 भाग में विभक्त कर दिया। और उनमें से कुछ भाग मुख्य पीठ के रूप में उभरे। जानकार इन दानों पुराणों की तथ्य को सही मानते हैं।

तारा तारिणी शक्ति पीठ  और तंत्र पीठ 

सती देवी के लास के साथ भगबान शिब
सती देवी के लास के साथ भगबान शिब

पुराण में बर्णित हुए सभी शक्ति पीठों भारत में शक्ति उपासना का सुरुयात किया था। उसी सभी 51/ 52 शक्ति पीठों से 4 मुख्य पीठ को आदि शक्ति पीठ  भी कहा जाता है।  [२][३][४]

स्थान

मंदिर   19°29 'N 84°53' E. के स्थान पर रहे है और यहाँ ऋषिकुल्या नदी प्रबाहित है। ऋषिकुल्या कु भारत का महान नदी गंगा की भग्नि माना जाता है। यहाँ आने के लिए ज्तिया राजप्था के साथ साथ उनके निकटतम रेल स्टेसन ब्रह्मपुर और निकततम हवाई अड्डे भुवनेश्वर में उपलब्ध।  

देवताओं

देवी तारा और तारिणी  को  प्रतिनिधित्व कर रहे हैं दो प्राचीन पत्थर की मूर्तियों। दोनों मूर्तियाँ  सोने और चांदी के गहने.के साथ रहे है।  [५] दोनों मूर्तियों के बीच दो पीतल सिर रखा हुआ है , जिसे देबी जिबंट प्रतिमा कहा जाता है।  

इतिहास

जाति, वर्ण, धर्म से ऊपर कोई भी भक्त देवी के दर्शन सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक कर सकता है।

यहां के मुख्य पर्वों में चत्र पर्व प्रधान है। हिन्दू कलेन्डर के चैत्र महीना जो मार्च एवं अप्रैल में आता है। उस महीने को बड़ा पवित्र माना जाता है। भक्तों का मानना है कि इस महीने के प्रत्येक मंगलवार को देवी के दर्शन करने से मनुष्य की सभी इच्छाएं तथा आकांक्षाएं पूरी होती हैं। इसलिए मंगलवार को कम से कम 3 से 4 लाख श्रद्धालु भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं। इसी महीने के अंदर लाखों बच्चों का मुंडन भी करवाया जाता है। ये मान्यता है कि नवजात बच्चों का 1 साल पूरा होने के बाद यहां पर प्रथम मुण्डन करवाने से आयु, आरोग्य, अईसूर्य तथा बुद्धि मिलती है। इसके अतिरिक्त नवरात्र, दशहरा, साल के सभी मंगलवार, सक्रांति मुख्यपर्व के रूप में यहां पर मनाया जाता है।

पहुुंचने की व्यवस्था

ब्रह्मपुर शहर से यह जगह 25 कि.मी. की दूरी पर है। ब्रह्मपुर जो उड़ीसा का एक मुख्य शहरों है वो कोलकाता से चेन्नई जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 5, रायपुर से ब्रह्मपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 217, कोलकाता से चेन्नई मुख्य रेलवे स्टेशन से संयुक्त है। इसको छोड़कर आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल से अच्छी सड़कों की व्यवस्था ब्रह्मपुर तक है। एक प्रमुख स्टेशन होने के कारण भारत के सभी बड़े शहर और मेट्रो को टेªन से आने-जाने की व्यवस्था उपलब्ध है। ब्रह्मपुर पहुंचने के बाद टैक्सी, आॅटो एवं बस से इस जगह तक पहुुंचा जा सकता है। भुवनेश्वर, विशाखापटनम और पुरी से भी टैक्सी सेवा उपलब्ध है।

भुवनेश्वर 170 कि.मी. और विशखापटनम 250 कि.मी. नजदीकी हवाईअड्डे है। व्यक्तिगत हैलीकोप्टर और चार्टर फ्लाईट उतरने की व्यवस्था ब्रह्मपुर हवाईअड्डे में उपलब्ध है।

रहने की व्यवस्था

तारातारीणी के पास रहने के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था नहीं है। फिर भी दिगंत, आई.बी. और उड़ीसा पर्यटन विभाग का अतिथि भवन पर्वत के नीचे उपलब्ध है। इस जगह से 25 कि.मी. की दूरी पर ब्रह्मपुर और 35 कि.मी. की दूरी पर गोपालपुर- अन- सी (जो की एक प्रसिद्ध समुद्र तटीय शहर है) वहां सभी वर्ग के यात्रियों के लिए ठहरने की तथा खाने पीने की भी व्यवस्था उपलब्ध है।

प्राचीन शक्तिपीठ तारातारीणी के पास गोपालपुर (35 कि.मी.), तप्तपाणी 79 कि.मी., भैरवी 40 कि.मी., मौर्य सम्राट अशोक के शिलालेख जउगढ़ 4 कि.मी. तथा एशिया की सबसे बड़ी झील चिलका 40 कि.मी. इत्यादि मुख्य प्रयटन स्थल हैं।

सन्दर्भ