तारापीठ
साँचा:if empty Tarapith তারাপীঠ | |
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नगर व तीर्थ | |
तारापीठ मंदिर | |
साँचा:location map | |
निर्देशांक: साँचा:coord | |
ज़िला | बीरभूम ज़िला |
प्रान्त | पश्चिम बंगाल |
देश | साँचा:flag/core |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | ७,१२५ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | बंगाली |
निकटतम शहर | रामपुरहाट |
वेबसाइट | birbhum |
तारापीठ (তারাপীঠ) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के बीरभूम ज़िले में स्थित एक छोटा शहर है।[१][२]
विवरण
पूर्वी रेलवे के रामपुर हाल्ट स्टेशन से चार मील दूरी पर स्थित है तारा पीठ। बंगाल क्षेत्र की प्रसिद्द देवी तारा की पूजा का प्रमुख केन्द्र होने के कारण ही इसका नाम तारापीठ है।[३][४][५][६]
रामकृष्ण के समकालीन ही वामाक्षेपा, तारा पीठ के सिद्ध अघोरी परम भक्त थे।[७] तारा पीठ (महापीठपुराण के अनुसार) ५२ शक्तिपीठों के अन्तर्गत माना गया है।[४][५][८]
मिथक
यहाँ आसपास के क्षेत्रों को सम्मिलित कर लिया जाय तो तारापीठ तीन हैं। कथा के अनुसार दक्षयज्ञ में ना बुलाये जाने से और स्वयं पहुँचने के बाद उपेक्षा के कारण अपमानित होने बाद सती ने यज्ञकुण्ड में कूद कर आत्मदाह कर लिया था। शिव ने दुःख और क्रोध में वहाँ पहुँचकर यज्ञभंग कर दिया और सती के शव को लेकर दुःखमें डूबे इधर-उधर घूमते फिर रहे थे जिससे उबारने के लिये विष्णु ने सती के शव को अपने चक्र से टुकड़ों में काट कर छितरा दिया। यह माना जाता है कि शक्तिपीठों की स्थापना उन्हीं स्थानों पर हुई है जहाँ जहाँ सती के अंग पृथ्वी पर गिरे थे।[४]
इस कथा के मुताबिक सती के देवी के तीनों नेत्रों के तारक बतीस योजन के त्रिकोण का निर्माण करते हुए तीन विभिन्न स्थानों पर गिरे थे। जहाँ, वैद्यनाथ धाम के पूर्व दिशा में उत्तर वाहिनी, द्वारका नदी के पूर्वी तट पर महाश्मशान में श्वेत शिमूल के वृक्ष के मूलस्थान में सती का तीसरा (ऊर्ध्व) नेत्र गिरा था, उसी जगह यह उग्रतारा पीठ स्थित है।[९] इसके आलावा अन्य दो तारापीठ भी हैं। मिथिला के पूर्व दक्षिणी कोने में, भागीरथी के उत्तर दिशा में, त्रियुगी नदी के पूर्व दिशा में "सती" देवी के बाँये नेत्र की मणि गिरी, तो यह स्थान "नील सरस्वती" तारा पीठ के नाम से प्रसिद्ध हैं। बगुड़ा जिले के अन्तर्गत "करतोया नदी के पश्चिम में दाँईं मणि गिरी, तो यह स्थान "एक जटा तारा" और भवानी तारा पीठ के नाम से विख्यात हैं।
एक अन्य कथा इसे गौतम बुद्ध के बुद्धावतार से भी जोड़ती है। तारा की उपासना तिब्बती बौद्ध समुदाय में काफ़ी प्रचलित है।
वामाक्षेपा
वामाक्षेपा, या बंगला भाषा में, बामाखेपा उन्नीसवी सदी के एक संत थे जो तारापीठ के उपासक और साधक के रूप में जाने जाते हैं।[१०]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Lonely Planet West Bengal: Chapter from India Travel Guide," Lonely Planet Publications, 2012, ISBN 9781743212202
- ↑ "Kolkata and West Bengal Rough Guides Snapshot India," Rough Guides, Penguin, 2012, ISBN 9781409362074
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- ↑ Kinsley p. 61
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- ↑ साँचा:cite book
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