तमिलनाड राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी

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तमिलनाड राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी तमिलनाड की सरकार द्वारा गठित किया है। खतरनाक रोग एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने और बिना-भेदभाव बीमारों के इलाज के लिए प्रयत्नशील है। राज्य एड्स परियोजना जनवरी 1993 में इकाई के गठन से शुरू हुई इसे आगे चलकर 1994 में तमिलनाड राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी का रूप दिया गया। मई 1994 में पंजीकरण के बाद, राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी, अपनी गतिविधियों को अपनी कार्यकारी समिति के मार्गदर्शन और समर्थन के साथ काम कर रही है। इसकी मुख्या गतिनिधियाँ इस तरह हैं:

  • रक्त सुरक्षा और प्रशिक्षण
  • लक्षित हस्तक्षेप
  • यौन संचारित रोग के नियंत्रण (एसटीडी)
  • सूचना, शिक्षा और संचार
  • और एड्स रोगियों के लिए देखभाल का समर्थन।[१]

तमिलनाड में एड्स की स्थिति

1986 में पूरे भारत में पहला एचआइवी पॉजिटिव मामला तमिलनाड में पाया गया था। इसी के साथ ही सरकार ने जनरल अस्पताल (चेन्नई) और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज अस्पताल (वेल्लोर) के माध्यम से जानकारी एकत्रित करना शुरू कर दिया। हालांकि शुरुआत में संक्रमण की गंभीरता को पूरी तरह नहीं जाना जा सका था, लेकिन रोग-अध्यन से समस्या की गंभीरता सामने आ गयी। दिसंबर 1999 के आंकड़े बताते हैं कि 36,72,144 जांच-मामलों में 92,312 एचआइवी के सकारात्मक मामले पाय गए। इसके साथ ही 1995 में किया गया पारिवारिक सर्विक्षण तमिलनाड राज्य में बढ़ रहे एड्स की जड़ों का इशारा किया। तमिलनाड राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की सफल रणनिति के कारण 1997 से लेकर अबतक राज्य में एड्स बहुत ही कम मामले देखे गए हैं।[१]

भ्रष्ट एनजीओ-समर्थन का आरोप

एनजीओ-विरोधी मोर्चा का आरोप है कि एचआइवी/एड्स की जागृति के नाम तमिलनाड राज्य भ्रष्ट एनजीओ-समर्थन के मामले तीसरे नंबर पर है। यह एनजीओ राज्य सरकारों तथा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटियों से पैसा तो लेती हैं पर काम शायद ही करती हैं। प्राप्त आंकड़ों के हिसाब से भ्रष्ट एनजीओ के टॉप फाइव गढ¸ उत्तर प्रदेश में 332 मेघालय में 323 तमिलनाड में 304 आन्ध्र प्रदेश में 287 और पंजाब में 223 एनजीओ शामिल हैं।[२]

सन्दर्भ

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