तमिलनाडु लिबरेशन आर्मी

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तमिलनाडु लिबरेशन आर्मी (हिन्दी अनुवाद; तमिलनाडु मुक्ति सेना), एक स्वतन्त्र तमिल राष्ट्र के निर्माण के उद्देश्य से गठित एक छोटा सा उग्र-अलगाववादी आंदोलन है। 1985 में इसका निर्माण तमिलनाडु कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी के सैन्य दल के रूप में किया गया था। पनपरापी नामक गाँव के एक इंजीनियरिंग छात्र तामिज़रासन को संगठन का नेता माना जाता है।[१] इस संगठन के नेता बम विस्फोटों, हत्याओं और बैंक डकैतियों जैसे अपराधों में शामिल रहे हैं, और इसका कारण यह लोगों के दुश्मनों का सफाया बताते हैं। अपनी इस करतूतों के स्पष्टीकरण के लिए यह शहर में पोस्टर चिपकाते हैं। 1 सितंबर 1987 को तामिज़रासन उस समय मारा गया जब इसने पनपरापी में एक बैक को लूटने का प्रयास किया। नेता तामिज़रासन की मृत्यु के बाद, संगठन को कई छोटे भागों में विभाजित किया गया।

तामिज़रासन की मृत्यु के बाद लेनिन नाम के नेता ने इस संगठन की कमान संभाल ली और आंदोलन के सदस्यों की संख्या में वृद्धि की। वे पुलिस थानों पर बमबारी करने लगे और पुलिस के हथियार चुराने लगे। 1994 में एक पुलिस स्टेशन पर हमले के लिए ले जाए जाने के दौरान एक बम के फटने से लेनिन की मौत हो गई थी। इस गिरोह ने जुलाई 2000 में फिल्म अभिनेता, डॉ राजकुमार का अपहरण कर लिया था।

माना जाता है कि इस संगठन को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम से समर्थन मिलता था। तमिलनाडु सरकार ने 2002 में तमिलनाडु लिबरेशन आर्मी को एक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया।[२] भारत सरकार द्वारा भी इसे एक आतंकवादी संगठन घोषित किया गया।[३] तमिलनाडु लिबरेशन आर्मी का कहना है कि वह एक बृहद तमिल राष्ट्र चाहता है जिसमें तमिलनाडु, लक्षद्वीप, मिनिकोय द्वीप, श्रीलंका में 'तमिल ईलम', मालदीव, मलेशिया, सिंगापुर और मॉरीशस शामिल हों।

सन्दर्भ