तबे एकला चलो रे
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देशभक्ति परक संगीत साँचा:main other द्वारा गाया गया | |
के एल्बम से | |
भाषा | बंगाली |
प्रकाशित हुआ | सितम्बर 1905 |
शैली | रवींद्र संगीत |
अवधि | स्क्रिप्ट त्रुटि: "hms" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
गीतकार | रबीन्द्रनाथ ठाकुर |
संगीतकार | रबीन्द्रनाथ ठाकुर |
संगीत क्रमांक 3, "स्वदेश", गीताबितन स्वरबितन 46 इंदिरा देवी चौधुरानी द्वारा किए गए अंकन |
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"जदि तोर डाक शुने केउ ना आसे तबे एकला चलो रे" (साँचा:lang-bn ) "यदि आपकी पुकार सुनने कोई न आए तो अकेले चले जाना"[१]), सामान्यतः इसे एकला चलो रे से जाना जाता है, एक बंगाली देशभक्ति गीत है जिसे १९०५ में रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने लिखा था।[१]
गीत के बोल
एकला चलो रे का मूल पाठ:
बंगाली लिपि
যদি তোর ডাক শুনে কেউ না আসে তবে একলা চলো রে।
একলা চলো, একলা চলো, একলা চলো, একলা চলো রে॥
যদি কেউ কথা না কয়, ওরে ও অভাগা,
যদি সবাই থাকে মুখ ফিরায়ে সবাই করে ভয়—
তবে পরান খুলে
ও তুই মুখ ফুটে তোর মনের কথা একলা বলো রে॥
যদি সবাই ফিরে যায়, ওরে ওরে ও অভাগা,
যদি গহন পথে যাবার কালে কেউ ফিরে না চায়—
তবে পথের কাঁটা
ও তুই রক্তমাখা চরণতলে একলা দলো রে॥
যদি আলো না ধরে, ওরে ওরে ও অভাগা,
যদি ঝড়-বাদলে আঁধার রাতে দুয়ার দেয় ঘরে-
তবে বজ্রানলে
আপন বুকের পাঁজর জ্বালিয়ে নিয়ে একলা জ্বলো রে।।
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देवनागरी
यदि तोर डाक शुने केउ ना आसे
तबे एकला चलो रे।
एकला चलो, एकला चलो, एकला चलो रे!
यदि केउ कथा ना कोय, ओरे, ओरे, ओ अभागा,
यदि सबाई थाके मुख फिराय, सबाई करे भय-
तबे परान खुले
ओ, तुई मुख फूटे तोर मनेर कथा एकला बोलो रे!
यदि सबाई फिरे जाय, ओरे, ओरे, ओ अभागा,
यदि गहन पथे जाबार काले केउ फिरे न जाय-
तबे पथेर काँटा
ओ, तुई रक्तमाला चरण तले एकला दलो रे!
यदि आलो ना घरे, ओरे, ओरे, ओ अभागा-
यदि झड़ बादले आधार राते दुयार देय धरे-
तबे वज्रानले
आपन बुकेर पांजर ज्वालिये निये एकला ज्वलो रे!
हिन्दी अनुवाद
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