डेरापुर, कानपुर देहात
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कल्पेश्वर मंदिर | |
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निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag/core |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | कानपुर देहात ज़िला |
तहसील | डेरापुर |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | ७,५३३ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
डेरापुर (Derapur) उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर देहात जिले का एक नगर एवं सब- डिवीज़न/ तहसील मुख्यालय है जो वर्ष २००५ में ग्राम पंचायत से नगर पंचायत के अस्तित्व में परिवर्तित हुआ। डेरापुर के नाम के सम्बन्ध में जनश्रुति है कि जब श्रीकृष्ण और वाणासुर के बीच संग्राम हुआ था तब श्रीकृष्ण ने इसी स्थान पर डेरा डाला था।[१]
स्थिति
यह नगर रूरा रेलवे स्टेशन ( उत्तरी मध्य रेलवे ) से दक्षिण दिशा में १४ किलोमीटर की दूरी पर सेंगुर नदी के दाहिने तट पर बसा है। यह नगर वर्तमान में सिकंदरा विधान सभा के अंतर्गत आता है।
यातायात
इस नगर का मुख्य रेलवे स्टेशन रूरा (उत्तर मध्य रेलवे ) है जहां पर फ़ास्ट और सुपर फ़ास्ट रेलगाडियां उपलब्ध हैं। रूरा से पूर्व की ओर कानपुर, इलाहबाद, लखनऊ, हावड़ा आदि नगरो को जा सकते हैं तथा पश्चिम में इटावा, आगरा, दिल्ली आदि नगरों से जुड़ा हुआ है। दक्षिण दिशा में ६ किलोमीटर की रोड द्वारा स्वर्णिम चतुर्भुज राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ है।
उल्लेखनीय व्यक्तित्व
- राम नाथ कोविन्द
- राधेश्याम कोरी : पूर्व सांसद
- शिवराम पाण्डेय :क्रांतिकारी ,पूर्व विधायकउत्तर प्रदेश
- शम्भू दयाल चतुर्वेदी : क्रांतिकारी
- रामखेलावन मिश्र क्रांतिकारी
विद्यालय और महाविद्यालय
- गलुआपुर इण्टर कॉलेज
- देवी सहाय सार्वजानिक इंटर कॉलेज
- गुढ़ा देवी श्याम विहारी महाविद्यालय
सार्वजानिक संस्थाएं
- सब-डिवीजन एवं तहसील मुख्यालय
- पुलिस स्टेशन एवं क्षेत्रीय कार्यालय पुलिस
- ब्लॉक मुख्यालय
- उप डाकघर
- दूरभाष केंद्र (बीएसएनएल )
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
- स्टेट बैंक सहित ४ बैंक
कपालेश्वर मंदिर
स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। यह शिव मंदिर बीहड़ एवम प्रकृति के सुरम्य वातावरण में एक टीले पर सेंगुर नदी के उत्तर -पूर्व में डेरापुर तहसील मुख्यालय से लगभग २ किलोमीटर दूर स्थित है। इस कपालेश्वर महादेव मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर के फर्श के मध्य में उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर लगभग 1.30 मीटर लंबाई की एक समाधि है और इस समाधि के ऊपर उत्तरी सिरे पर शिव लिंग स्थापित है। शिव लिंग के उत्तर में 0.40 मीटर दूरी पर नंदी विराजमान हैं। इस टीले की खुदाई में समाधि के ऊपर शिव लिंग प्राप्त होने पर वर्ष १८९३ में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। यह मंदिर शैव भक्तों की आस्था का केंद्र है। श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार को यहां जनसैलाब उमड़ पड़ता है।[२]