डीडीटी
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डीडीटी (DDT) या "डाईक्लोरो-डाईफेनाइल-ट्राईक्लोरोइथेन" (Dichloro-Diphenyl-Trichloroethane) एक रंगहीन, स्वादहीन और लगभग गंधहीन क्रिस्टलीय रासायनिक यौगिक है। [४] यह एक कार्बक्लोराइड (organochloride) है। इसका विकास मूलतः एक कीटनाशी के रूप में किया गया था किन्तु इसके पर्यावरणीय दुष्प्रभावों के चलते इसका उपयोग बन्द या कम करना पड़ा। यह पहला आधुनिक कीटनाशक था जो मलेरिया के विरूद्ध प्रयोग किया गया था, किन्तु 1950 के बाद इसे कृषि कीटनाशी रूप में प्रयोग करने लगे थे।
सबसे पहले डीडीटी का संश्लेषण सन १८७४ ई में ऑस्ट्रिया के रसायनज्ञ ऑथमर जिडरलर ने किया था। इसके कीटनाशी प्रभावों की खोज सन १९३९ में स्वीडेन के रसायनविद पाउल हर्मान मूलर (Paul Hermann Müller) ने किया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के द्वितीयार्ध में आम जनता और सैनिकों में मलेरिया तथा टाइफस के प्रसार को रोकने के लिए इसका उपयोग किया गया था। सन १९४८ में मूलर को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।[५]
सन्दर्भ
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- ↑ साँचा:cite web
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नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ NobelPrize.org: The Nobel Prize in Physiology of Medicine 1948, accessed July 26, 2007.