टेनिसीन

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टेनिसीन

टेनिसीन (Tennessine) एक सिंथेटिक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक Ts और परमाणु संख्या 117 है | यह आवर्त सारणी दूसरा सबसे भारी ज्ञात तत्व है | यह वें वर्ग तथा तीसरे आवर्त में आता है |

अमेरिका तथा रूस के सहयोग से अप्रैल 2010 में डबना (रूस) में आधिकारिक तौर पर टेनिसीन की खोज की घोषणा की गई थी | 2020 तक ज्ञात सबसे नया तत्व टेनिसीन ही है | 2011 में इसके समस्थानिक का निर्माण कर लिया गया जो आंशिक रूप से इस तत्व पर हुए प्रयोगों की पुष्टि करता है | 2012 में इस पर पुनः प्रयोग किया तथा 2014 में जर्मन तथा अमेरिका ने संयुक्त रूप से प्रयोग को दोहराया | दिसंबर 2015 में शुद्ध और अनुप्रयोगिक रसायन का अंतरराष्ट्रीय संघ तथा शुद्ध और अनुप्रयोगिक भौतिकी का अंतरराष्ट्रीय संघ ने तत्व को स्वीकार कर लिया | जून 2016 में IUPAC ने एक घोषणा प्रकाशित की जिसमें कहा गया था कि खोजकर्ताओं ने टेनेसी नाम के लिए शब्द टेनिसीन का सुझाव दिया है | नवंबर 2016 में इसका नाम टेनिसीन स्वीकार कर लिया गया |

यह एक स्थिर तत्व हो सकता है | इसको यह अवधारणा समझा सकती है की बिस्मथ के बाद स्थिरता घटती है पर कुछ सुपरहेवी तत्व अधिक स्थिर क्यों है | संश्लेषित टेनसाइन परमाणु 10 या 100 मिलीसेकंड तक ही रहते हैं | टेनिसीन को आवर्त सारणी में वर्ग 17 में रखा है | आवर्त सारणी में वर्ग 17 के सभी तत्व हैलोजन हैं | इसके कुछ गुण सापेक्ष प्रभावों के कारण हैलोजन से काफी भिन्न हो सकते हैं | इससे यह होता है कि टेनिसीन न तो स्थिर है न ही उच्च ऑक्सीकरण अवस्था प्राप्त कर सकता है | कुछ गुणधर्मों जैसे क्वथनांक, गलनांक और प्रथम आयनीकरण ऊर्जा के आधार पर इसे हैलोजन के वर्ग में रखा जाता है

प्रस्तावना

एक सुपरहेवी परमाणु नाभिक एक अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है | यह अभिक्रिया दो असमान नाभिकों को मिलाकर की जाती है | देखा जाए तो नाभिकों के भार में जितना अधिक अंतर होगा अभिक्रिया की सम्भावना उतनी ही बढ़ जाएगी | [१] पदार्थ जो भारी नाभिक से बना है उस पर हल्के नाभिकों की बमबारी की जाती है | दो नाभिक केवल एक में फ्यूज कर सकते हैं परन्तु यह तभी होता है जब वे परस्पर अधिक निकट सम्पर्क में हो | नाभिक (धनात्मक आवेश) स्थिरवैद्युतिकी (इलेक्ट्रोस्टैटिक) प्रतिकर्षण के कारण एक दूसरे को पीछे हटाते हैं | यदि नाभिक से बहुत कम दूरी हो तो प्रतिकर्षण बल का प्रभाव हटाया जा सकता है | प्रतिकर्षण बल को कम करने के लिए कणों की बौछार बहुत तेज गति से की जाती है | [२] केवल पास आना ही फ्यूज करने के लिए पर्याप्त नहीं है | ये लगभग 10-20 सेकंड तक साथ रहते हैं | [२][३] यदि संलयन होता है, तो अस्थायी संयोजन एक यौगिक नाभिक कहलाता है | नाभिक स्थिर होने के लिए एक या कई न्यूट्रॉनों का त्याग करता है। इस प्रक्रिया से ऊर्जा का क्षय होता है। टक्कर के बाद लगभग 10-16 सेकेण्ड में यह प्रक्रिया हो जाती है।

पुंज लक्ष्य से गुजरता है और अगले कक्ष में पहुंचता है | यदि नया नाभिक उत्पन्न होता है तो यह किरण के साथ ही चला जाता है अर्थात जिन नाभिकों की बौछार की जाती है यह उनके साथ ही चला जाता है | [४] प्रक्रिया में निर्मित नाभिक को अन्य नाभिक से विभाजक द्वारा पृथक किया जाता है | डिटेक्टर इसके अगले स्थान जहां ये पहुंचेगा उसका पूर्वानुमान लगता है साथ साथ समय और ऊर्जा के मान की भी गणना करता है। स्थानांतरण में लगभग 10-6 सेकंड समय लगता है जिसको मापा जा सकता है। इस प्रक्रिया में नाभिक को लम्बे समय तक रहना आवश्यक होता है। नाभिक के क्षय की दर को दर्ज किया जाता है। साथ-साथ समय और ऊर्जा को भी दर्ज किया जाता है।

पारस्परिक क्रियाओं द्वारा नाभिक स्थिर होता है।

इतिहास

पूर्व खोज

खोज

पुष्टीकरण

नामकरण


सन्दर्भ

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