टी के पद्मिनी
टी के पद्मिनी | |
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चित्र:Photo of T.K. Padmini.jpg | |
जन्म |
साँचा:birth date कदानेचेरी, पोन्नानी, मलप्पुरम, केरल, भारत |
मृत्यु |
साँचा:death date and age |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | साँचा:ubl |
प्रसिद्धि कारण | चित्रकार |
जीवनसाथी | के दमोदरण |
टी के पद्मिनी (2 मई 1940 - 11 मई 1969) [१] दक्षिण भारत के केरल राज्य के एक भारतीय चित्रकार थी। ललित कला अकादमी के चेन्नई केंद्र से कई पुरस्कार प्राप्त करने वाली, वह एक प्रमुख भारतीय महिला चित्रकार थीं। उनके चित्रों को द नेशनल आर्ट गैलरी, सालार जंग संग्रहालय, हैदराबाद और केरल ललित कला अकादमी की दरबार हॉल ग्राउंड आर्ट गैलरी में प्रदर्शित किया गया है। 11 मई 1969 को 29 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
जीवनी
पद्मिनी का जन्म 2 मई 1940 को दक्षिण भारत के केरल राज्य के मालप्पुरम जिले के तटीय शहर पोन्नानी के पास एक छोटे से गाँव कदानेचेरी में हुआ था। [२] उनके पिता किनत्तिन्करे दमोदरण एक सरकारी क्लर्क थे। [३] कडानेचेरी में एक स्थानीय स्कूली मे शिक्षा के बाद, उन्होंने अपनी उच्च विद्यालय की शिक्षा बेसल मिशन स्कूल, पोन्नानी और बाद में ए वी हाई स्कूल, पोन्नानी में की। इसी समय के दौरान, कला में उनकी प्रतिभा की खोज उनके कला शिक्षक के एल देवस्सी ने की थी। उनके चाचा दिवाकर मेनन ने कवि, एडसेरी गोविंदन नायर से आग्रह किया, जिन्होंने लड़की को अपने घर में स्वीकार कर लिया ताकि वह के एल देवस्सी के तहत कला की पढ़ाई जारी रख सकें। 1956 में सेकेंडरी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, उन्होंने प्रसिद्ध कलाकार, नंबूथहीरी के अधीन कला में अपना प्रशिक्षण जारी रखा, जिन्होंने उन्हें बिना किसी पारिश्रमिक के पढ़ाया। [४]
पद्मिनी 1961 में चेन्नई के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ फाइन आर्ट्स में भर्ती हुईं, जिस के लिए एडसेरी, देवन और अक्किथम नारायणन की सहायता ली गई, जो उन दिनों उस संस्था में एक छात्र थे। [३] यहां उन्हें के सी एस पणिकर के तहत अध्ययन करने का अवसर मिला, जो उस समय वहाँ प्रधानाचार्य थे। [२] 1965 में उन्होंने प्रथम रैंक के साथ पास किया यह उन्होंने चार साल में छह साल का डिप्लोमा पूरा किया, जिसमे उनहोने दो साल में दो बार डबल प्रमोशन हासिल किया और चेन्नई में रहने लगी। [५] 1966 में उन्होंने विदोदया गर्ल्स स्कूल में पढ़ाना शुरू किया उन्होंने आदर्श विद्यालय मैट्रिकुलेशन स्कूल और चिल्ड्रन गार्डन मैट्रिकुलेशन स्कूल में भी काम किया। उनका विवाह के दामोदरन के साथ मई 1968 में हुआ था जो कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स में एक कलाकार और एक साथी छात्र थे। 19 मई 1969 को 29 वर्ष की आयु में, प्रसव के बाद विकसित जटिलताओं के कारण उनकी मृत्यु हो गई जिस में उसका बच्चा भी जीवित नहीं बचा। [६][३] ।
विरासत
पद्मिनी के चित्रों की पहली प्रदर्शनी कोझीकोड में हुई थी जहाँ वह अपने कुछ कामों को लेकर घूमने गई थीं; [३] उनके चित्रों में उनके स्वयं के मन की चिंताओं और पूर्वाभासों के साथ मिश्रित, उनके मूल स्थान, ग्राम्य जीवन और ग्रामीण लोगों के परिदृश्य शामिल थे। [७] उन्होंने 1968 में चेन्नई में आयोजित वन-मैन शो और 1969 में नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय प्रदर्शनी के अलावा मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु, कोच्चि और चेन्नई में कई प्रदर्शनियों में भाग लिया। भारत और विदेश में निजी संग्रह के अलावा उनके 86 चित्रों की प्रदर्शिनी कोच्चि में केरल ललित कला अकादमी की दरबार हॉल गैलरी में प्रदर्शित किया गया है तथा कुछ चित्र तृश्शूर में अकादमी के अभिलेखागार में हैं। उनकी पेंटिंग्स पोर्ट्रेट और बरियल ग्राउंड , नेशनल आर्ट गैलरी, चेन्नई में, और कुछ अन्य सालार जंग संग्रहालय, हैदराबाद में हैं। उनकी रचनाओं में से अंतिम, गर्ल हू फ़्लाइस द काइट, ब्रिटिश काउंसिल, चेन्नई में क्रिएटिव आर्ट फोरम द्वारा प्रदर्शित की गई थी।
पुरस्कार और सम्मान
पद्मिनी ने 1963 में अपनी पेंटिंग ग्रोथ के लिए ललित कला अकादमी मद्रास राज्य से प्रशंसा के प्रमाण पत्र के रूप में अपना पहला सम्मान जीता [५] उन्हें 1965 में उनकी पेंटिंग, वीमेन के लिए एसोसिएशन ऑफ यंग पेंटर्स एंड स्कल्पचर्स (एईपीएस) ने अपना वार्षिक पुरस्कार प्रदान किया। उन्हें 1967 में उनकी पेंटिंग ड्रीमलैंड और डॉन, के लिए मद्रास राज्य ललित कला अकादमी से दो और पुरस्कार दिया गया। [४]
केरल ललित कला अकादमी ने 2005 में टी के पद्मिनी, एक मोनोग्राफ, शीर्षक से एक पुस्तक प्रकाशित की [८] 2012 में, केरल सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग ने पट्टम परथुन्ना पेनकुट्टी शीर्षक के तहत पद्मिनी के जीवन पर 30 मिनट के एक वृत्तचित्र का निर्माण किया। [६][९] [१०] केरल ललित कला अकादमी ने भी उनके नाम पर एक वार्षिक पुरस्कार टी के पद्मिनी पुरस्कार की स्थापना की।[११]
बाहरी कड़ियाँ
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संदर्भ
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