टीमोठी सिंड्रोम

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
टीमोठी सिंड्रोम
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
ओ.एम.आई.एम 601005
रोग डाटाबेस 34006

टिमोथी सिंड्रोम एक दुर्लभ स्व-परायणतिक प्रभावी रोग है जिसके लक्षण हैं शारीरिक कुरचनाएं, तांत्रिक और विकास सम्बंधित विकार जैसे ह्रदय का क्यूटी-बढाव, ह्रदय अतालता, संरचनात्मक ह्रदय दोष, सहवर्ती (पैर की उंगलियों और उंगलियों की बद्धी) व स्व-परायणतिक विकार.


टिमोथी सिंड्रोम अक्सर अकाल मृत्यु का कारण बनता है।

संकेत व लक्षण

टिमोथी सिंड्रोम का सबसे अचंभित करने वाला संकेत यह है की सहवर्ती सिंडक्टली [[(~ 0.03% जन्मों में) और लम्बे क्यूटी]]-बढाव (1 प्रतिशत हर वर्ष) का एक ही मरीज़ में एक साथमें पाया जाता है। टिमोथी सिंड्रोम के अन्य सामान्य लक्षण हैं हृदय संबंधी अतालता (94 %), ह्रदय कुरचना (59 %) एवं स्व-परायणता या स्व-परायणतिक स्पेकट्रूम विकार (80 % लोगों में जो मूल्यांकन तक जीवित रहते हैं). लगभग आधे मरीजों में चेहरे की डिसमॉफौलौजियाँ, जैसे की चपटी नाक, के भी लक्षण होते हैं। इस विकार से पीड़ित बच्चों में छोटे दांत पाए जाते हैं जो दंतवल्कों की काफी कमज़ोर परत के कारण दांतों में कैविटी के शिकार बनते हैं जिसमें दांतों को उखाड़ना आवश्यक हो जाता है। इन लक्षणों की जटिलताओं के कारण मृत्यु औसत: 2.5 वर्षों में हो जाती है।[१][२][३]

अनियमित टिमोथी सिंड्रोम के लक्षण मुख्यतः ऐसे ही होते हैं। अनियमित फॉर्म में अंतर के तौर पर युक्‍तांगुलिता की कमी, पेशीकंकालीय की उपस्तिथी (ख़ास तौर पर हाइपरफ्लेक्सिबल जोड़) और अलिंद विकंपन होते हैं। अनियमित टिमोथी सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को ज्यादातर चेहरे सम्बन्धी विकार, जैसे की अधिक उभरा हुआ माथा और जीभ, होते हैं। अंततः अनियमित टिमोथी सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के शरीर का असमान विकास होता है जिसमे उसके शरीर का उपरी हिस्सा सामान्य रूप से विकसित होता है (6 -वर्षीय की तहर) जबकि उसके शरीर का निचला भाग एक 2 या 3 वर्षीय की भाँती होता है।[४]

टिमोथी सिंड्रोम के पीड़ित बच्चे भ्रूण सम्बंधित वेदनाओं के कारण अक्सर सीज़ेरियन अनुभाग के माध्यम से पैदा होते हैं।[१][२]

रोग की पहचान

युक्‍तांगुलिता और अन्य विकार आम तौर पर जन्म के वक्त परखे एवं निदानित किये जाते हैं। लंबे क्यूटी सिंड्रोम कभी कभी युक्‍तांगुलिता के निवारण के लिए की गयी शल्य चिकित्सा की जटिलता के कारण भी हो सकते हैं। अन्य बार, बच्चे खेलते वक़्त अनायास ही बेसुध होकर गिर जाते हैं। ईसीजी मापन से सभी मामलों की पुष्टि करना मुमकिन है। CACNA1C जीन का अनुक्रमण, निदान की अतिरिक्त पुष्टि कर देता है।

रोगलक्षण-शरीरक्रिया विज्ञान

टिमोथी सिंड्रोम विरासत का एक Autosomal प्रमुख प्रतिमान होता है।

टिमोथी सिंड्रोम के दो पहचाने हुए प्रकार हैं, शास्त्रीय (प्रकार-1) और अनियमित (प्रकार-2). ये दोनों CACNA1C जीन (जो कैल्शियम चैनल Cav1.2 α सबयूनिट को एनकोड़ करती है) में म्यूटेशन के कारण होते हैं। टिमोथी सिंड्रोम के कारण हुई म्यूटेशन चैनल के बंद होने में विलम्ब पैदा करती है और इस प्रकार कोशिकीय उत्तेजना बढ़ाती है।

दोनों शास्त्रीय और अनियमित टिमोथी सिंड्रोम CACNA1C में म्यूटेशन के कारण होते हैं। ये म्यूटेशन एक्सॉन 8(अनियमित प्रकार) और एक्सोन 8a(शास्त्रीय प्रकार), एक अन्य जीन युग्‍मनित एक्सोन, में होते हैं। एक्सोन 8A ह्रदय, मस्तिष्क, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रणाली, फेफड़ों, प्रतिरक्षा प्रणाली और चिकनी मांसपेशी में बेहतरीन तौर से व्यक्त किया जाता है। एक्सॉन 8 भी इन जगहों पर व्यक्त किया गया होता है और इसका स्तर एक्सॉन 8A की तुलना में 5 गुना अधिक होता है।

शास्त्रीय कैक सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों में G406R नामक एक म्यूटेशन छठी झिल्ली के थोडा सा पीछे स्थित होता है जो डोमेन 1(D1S6) के खंड की लम्बाई का होता है। इस स्थान पर संरक्षित ग्लाईसीन सुचारू वोल्टेज निर्भर निष्क्रियता के लिए अहम लगती है, क्योंकि म्युटेंट इस विभाग में अक्षम है।[३] अनियमित टिमोथी सिंड्रोम के म्यूटेशन इसी प्रकार के हैं; एक दूसरी जीन युग्‍मन में होने वाला बिल्कुल समान G406R म्युटेशन और दूसरा कुछ अमीनो एसिड अपस्ट्रीमों में होने वाला G402S म्युटेशन. इन म्यूटेशनों का चैनल फंक्शनों पर होने वाला असर शास्त्रीय टिमोथी सिंड्रोम पर G406R म्यूटेशन के असर जैसा ही है।[४] इन म्यूटेंटों में सुचारू वोल्टेज निर्भर निष्क्रियता की कमी कार्डियक एक्शन पोटेंशियल के दौरान अन्दर आती हुई लम्बी करेंट और विध्रुवण पैदा करती है। फलस्वरूप लम्बा क्यूटी सिंड्रोम और फलतः अतालता हो जाती है। चुकी एक्सॉन 8 की अभीव्यक्ति ह्रदय में एक्सॉन 8A की तुलना में काफी अधिक होती है, अनियमित टिमोथी सिंड्रोम के मरीज़ के ह्रदय रोग शास्त्रीय टिमोथी सिंड्रोम के मरीजों की तुलना में काफी खतरनाक होते हैं।

उपचार

आमतौर पर शल्य चिकित्सा से संरचनात्मक दिल दोषों और युक्‍तांगुलिता का उपचार हो जाता है। प्रोपेनोनोल या बीटा-एड्रीनर्जिक अवरोधक डॉक्टरों द्वारा अक्सर निर्धारित किये जाते हैं तथा ह्रदय के सुचारू ताल को बरक़रार रखने के लिए गतिप्रेरकों का निवेश भी निर्देशित किया जाता है। चुकी टिमोथी सिंड्रोम की म्यूटेशन इनकी कैलशियम करेंट में पैदा किये गए दोषों की तरफ संकेत करती है, यह सुझाव दिया गया है की कैल्शियम चैनेल अवरोधक चिकित्सकीय एजेंटों के तौर पर काफी प्रभावशाली सिद्ध हो सकते हैं।[४]

पूर्वानुमान

टिमोथी सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों का पूर्वानुमान काफी अविकसित है। 17 बच्चों पर किये गए एक अध्ययन में 10 बच्चे का औसतः 2.5 साल की उम्र में ही निधन हो गया। जो जीवित बचे, उनमे से 3 स्व-परायणता से पीड़ित पाए गए, एक स्व-परायणतिक स्पेकट्रूम रोग से निवारित किया गया और तीसरे की भाषा विकास प्रक्रिया काफी धीमी पाई गयी।[३] अशास्त्रीय टिमोथी सिंड्रोम का एक रोगी (ह्रदय अतालता को छोड़ दें तो) मुख्य तौर पर सामान था।[४] इसी तरह, टिमोथी सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों के एक जोड़े की मां को भी म्यूटेशन था, पर उसमें भी किसी स्पष्ट फीनोटाइप की कमी थी। हालांकि, इन दोनों मामलों में, विकार की गंभीरता का अभाव मोज़ाइसिज़्म की वजह से था।

इतिहास

इनमें से कुछ असामान्यताएं 1990 के दशक में वर्णित की गयी थीं। हालांकि, 2004 में यह कैल्शियम चैनेल असामान्यताओं से जोड़ दिए गए थे अतः इसका नाम "टिमोथी सिंड्रोम", डॉ॰ कैथेरीन डब्ल्यू टिमोथी के सम्मान में रखा गया था। डॉ॰ कैथेरीन डब्ल्यू टिमोथी ने ही सर्वप्रथम इस सम्बंधित एक केस को पहचाना था और फीनोटाईपिक शोध करके अन्य असामान्यताओं को खोज निकला था।

इन्हें भी देखें

  • Cav1.2
  • कैल्शियम चैनल

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

साँचा:Phakomatoses and other congenital malformations not elsewhere classified साँचा:Channelopathy