झाँसी की रानी (उपन्यास)

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लुआ त्रुटि: expandTemplate: template "italic title" does not exist।साँचा:template other झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई हिंदी लेखक वृंदावनलाल वर्मा द्वारा लिखित एक ऐतिहासिक उपन्यास है। इसका प्रथम प्रकाशन सन् 1946 में हुआ।साँचा:sfnसाँचा:sfn 1946 से 1948 के बीच लेखक ने इसी शीर्षक से एक नाटक भी लिखा जिसे 1955 में मंचित किया गयासाँचा:sfn हालाँकि, उपन्यास अधिक प्रसिद्ध हुआ और इसे हिंदी भाषा में ऐतिहासिक उपन्यासों की श्रेणी में एक मील का पत्थर माना जाता है।साँचा:sfn 1951 में इस उपन्यास का पुनर्प्रकाशन हुआ।साँचा:sfn

उपन्यास का कथानक भारत में ब्रिटिश राज के काल में मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र पर आधारित है। साथ ही यह 1857 के विद्रोह की आधुनिक व्याख्या भी प्रस्तुत करता है।साँचा:sfn

मूल्यांकन

उपन्यास के लेखक वृन्दावनलाल वर्मा उपन्यास की भूमिका में विस्तार से लिखते हैं कि उपन्यास की रचना दरअसल इस खोज से भी सम्बंधित थी कि रानी वास्तव में स्वराज के लिए लड़ीं अथवा केवल आपने शासन को बचाने के लिए, और लेखक का कथन है कि उन्हें जो भी लिखित दस्तावेज प्राप्त हो पाए वे काफ़ी अपर्याप्त थे, हालाँकि, कई लोगों से मिलकर साक्षात्कार द्वारा और उन्हें जो कहानियाँ सुनने को मिलीं उनसे लेखक को प्रगाढ़ विश्वास हो जाता है कि रानी ने अंग्रेजों से स्वराज के लिए युद्ध किया था।साँचा:sfn इस प्रकार उपन्यास पर इतिहास के व्यक्तिगत अनुस्मरण होने का आरोप भी लगता है।साँचा:sfn

उपन्यास का प्रकाशन 1949 में और पुनर्प्रकाशन 1951 में हुआ।साँचा:sfn इससे पहले वर्मा ने कई कहानियाँ और कुछ उपन्यास प्रकाशित कराये थे लेकिन इस उपन्यास ने उन्हें हिन्दी साहित्य के अग्रगण्य रचनाकारों के रूप में स्थापित कर दिया और उन्हें ख़ास तौर से इस उपन्यास के लिए 1954 में भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया।साँचा:sfn

उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी रचना वर्मा ने उस काल में की जब हिंदी में ऐतिहासिक उपन्यासों की भारी कमी थी। ऐसे में उनके इस तरह के उपन्यासों की रचना से न केवल हिंदी साहित्य इस विधा में भी समृद्ध हुआ बल्कि परवर्ती अंग्रेज विद्वानों ने भी इन रचनाओं को मील का पत्थर घोषित किया।साँचा:sfn

गणेश शंकर विद्यार्थी ने वृंदावनलाल वर्मा के उपन्यास गढ़ कुंडार को अंग्रेजी लेखक वाल्टर स्काट के टक्कर का बताया था और आगे चलकर झाँसी की रानी और मृगनयनी जैसे उपन्यासों की रचना करने वाले वर्मा अपने इन्ही ऐतिहासिक उपन्यासों के बदौलत "हिंदी के वाल्टर स्काट" कहलाये।साँचा:sfn झाँसी की रानी को हिंदी का सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यास भी माना जाता है। साँचा:sfn

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

स्रोत ग्रन्थ

बाहरी कड़ियाँ