जैव संसाधन और स्थायी विकास संस्थान, इम्फाल
जैव संसाधन और स्थायी विकास संस्थान (Institute of Bioresources and Sustainable Development), इम्फाल में स्थित है। भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 16 जनवरी 2001 को आयोजित अपनी बैठक में इम्फाल, मणिपुर में डी बी टी के एक स्वायत्तशासी संस्थान के रूप में जैवसंसाधन तथा सतत विकास संस्थान की स्थापना को अनुमोदन दे दिया है। जैवसंसाधन तथा सतत विकास संस्थान (आई बी एस डी) को 26 अप्रैल 2001 को मणिपुर सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1989
परिचय
पूर्वात्तर क्षेत्र पौधों, जंतुओं एवं सूक्ष्मजीवी संसाधनों का आनुवांशिक भण्डार है। यह क्षेत्र विश्व के 12 विशाल जैव विविधता के समृद्ध क्षेत्रों में से एक है और इसे भारतीय-बार्मा मुख्य बिन्दु के रूप में जाना जाता है जो विश्व के 34 जैव विविधता मुख्य बिन्दुओं में से 8वें स्थान पर है। यह क्षेत्र जैव भूगर्भीय त्रि-जोड़ और अनेक स्वदेशी फसलों के लिए जीन विविधता का केन्द्र तथा अत्यधिक आर्थिक महत्व वाले पौधों और जंतुओं के द्वितीयक केन्द्र के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र की जैव विविधता में न केवल उष्ण कटिबंधीय तथा उप उष्ण कटिबंधीय बायोटा शामिल है बल्कि यहां टेम्परेट और एल्पाइन क्षेत्र भी यहां के एल्टीट्यूडिनल ग्रेडिएंट के कारण महत्व रखते हैं। इन आनुवांशिक कीमती संसाधनों को विशेष रूप से इस क्षेत्र की और आम तौर पर राष्ट्र की आर्थिक वृद्धि हेतु जैव प्रौद्योगिकीय मध्यस्थताओं द्वारा संभालने की आवश्यकता है।
भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के अनोखे जैव संसाधनों तथा जैव विविधता के महत्व को समझते हुए, जो विश्व के दो प्रमुख जैव विविधता वाले स्थानों अर्थात हिमालय और भारत-बर्मा जैव विविधता के स्थान हैं, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने राष्ट्रीय जैव संसाधन विकास मंडल के अनुमोदन से निम्नलिखित मिशन और उद्देश्यों के साथ वर्ष 2001 के दौरान जैव संसाधन और स्थयी विकास संस्थान (आईबीएसडी), इम्फाल की स्थापना की है।
मिशन
क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए जैवप्रौद्योगिकीय हस्तक्षेपों के माध्यम जैवसंसाधनों का विकास तथा उनका सतत प्रयोग।
लक्ष्य
भारत-बर्मा (म्यांमार) जैवसंसाधन स्थल के अंतर्गत आनेवाले भरतीय क्षेत्र में जैवसंसाधनों का वैज्ञानिक प्रबंधन
उद्देश्य
- आधुनिक जीवविज्ञान के साधनों का प्रयोग करते हुए जैवसंसाधनों के सतत विकास के लिए भारत-बर्मा जैवसंसाधन स्थल के केन्द्र में स्थित इम्फाल में अत्याधुनिक जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान सुविधाओं की स्थापना।
- भारतीय तथा प्राच्य भूखंडों के जैव-भौगोलिक मिलन-स्थल की अद्वितीय जैवविविधता का अध्ययन एवं प्रलेखन।
- क्षमता निर्माण (मानव विकास) करना।
- जैवसंसाधनों के अनुसंधान-खोजों को जारी रखने के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य संस्थानोंसंगठनों और विश्वविद्यालयों के साथ सहभागिता करना।
- जैवसंसाधनों के सतत विकास और उपयोग के लिए जैवप्रौद्योगिकीय साधनों का विकास करना।
- क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने तथा आर्थिक उन्नयन के लिए प्रौद्योगिकीय पैकेजों का विकास करना।
- इम्फाल में आधुनिकतम जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान की स्थापना करना, जो आधुनिक जीवविज्ञान के साधनों का उपयोग करते हुए जैव संसाधनों के स्थायी विकास के लिए भारत-बर्मा जैव विविधता प्रमुख बिन्दु का केन्द्र है,
- भारतीय और ओरिएंटल भूमि के भू-भौगोलिक जोड़ की अद्भुत जैव विविधता और जैव संसाधनों का अध्ययन करना
- जैव संसाधनों का स्थायी विकास और जैव संसाधनों की उपयोगिता के लिए जैव प्रौद्योगिकीय मध्यस्थता करना,
- क्षेत्र में रोजगार उत्पादन और आर्थिक प्रगति के लिए प्रौद्योगिकीय पैकेज तैयार करना,
- जैव संसाधन संरक्षण, विकास और उपयोगिता में क्षमता निर्माण (मानव संसाधन विकास) करना, तथा
- जैव संसाधनों में अनुसंधान आगे बढ़ाने में अन्य संस्थानों/संगठनों/विश्वविद्यालयों के साथ राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करना।
प्रस्तावित क्रियाकलाप
- औषधीय एवं सुगंधीय पादपों के आनुवंशिक सुधारस्तरोन्नयन, बहुगुणन और प्राकृतिक उत्पादों का रसायन-विज्ञान। मैमेलियन कोशिका लाइनों के प्रयोग द्वारा जैव-सक्रिय अणुओं के लिए उपयुक्त इन-विट्रो स्क्रीनिंग परीक्षणों का विकास।
- सेरी-जैवप्रौद्योगिकी और कीट-जैवसुसाधन, जर्मप्लाज्म संग्रहण, आनुवंशिक विविधता का मूल्यांकन, आनुवंशिक वर्धन तथा संरक्षण।
- जलीय पेड़-पौधों एवं पशु-पक्षियों में विविधता का आकलन, चुनिंदा प्रजातियों जिनमें जलकृषि भी शामिल है, के आनुवंशिक सुधार के परिणामस्वरूप उत्पादों का विकास।
- विशेष रूप से कृषि, वानिकी, उद्योग तथा आनुवंशिक सुधार से संबंधित माइक्रोबों (जीवाणु एवं कवक) के सभी दलों में विविधता का आकलन।
- जैवसंसाधन संबंधी डाटाबेसी की स्थापना।
- कृषि, उद्यानकृषि वानिकी तथा जलकृषि में उत्पादकता बढाने के लिए प्रयोज्य उत्पादों तथा प्रक्रियाओं के विकास करने वाले प्रौद्योगिकी पैकेज।
- भूखंड के प्रयोग संबंधी पैटर्नों का आकलन, मृदा विकास तथा उर्वरता के रख- रखाव के लिए पारिस्थितिक दृष्टि से दोषरहित पुनर्वास का विकास, भूक्षरण की रोकथाम और विकृत पर्वतीय पारिस्थितिकी तथा बंजरभूमि का पुनरूध्दार।