जावर, उदयपुर

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जावर राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है। यहाँ की खान विश्व की सबसे पुरानी जस्ता की खानों में से एक है।साँचा:fix

वर्तमान में नया जावर क्षेत्र एक छोटे से कस्बे के रूप में है जहाँ अधिकांश जनसंख्या भीलों की है। जावार में 'जावर माता' नामक देवी का मंदिर है। इसके अलावा यहाँ कई जैन, शिव तथा विष्णु के मंदिर हैं।साँचा:fix महाराणा कुंभा की राजकुमारी रमाबाई द्वारा निर्मित 'रमाकुण्ड' नामक एक विशाल जलाशय भी है। जलाशय के तट पर रामस्वामी नामक एक सुन्दर विष्णुमंदिर भी है। मंदिर की दीवार पर लगे शिलालेख से ज्ञात होता है कि इसका निर्माण सन् १४९७ में कराया गया है। महाराणा रायमल का राजतिलक जावर में ही हुआ था। साँचा:fix

जावर खानें

ये खानें अरावली पर्वतमाला के अंतर्गत स्थित हैं। मोचिया मोगरा पहाड़ी खनन कार्य का मुख्य भाग है जो उदयपुर नगर के ठीक दक्षिण में ४० किमी की दूरी पर स्थित है।साँचा:fix पेषण (Milling) कार्य के लिए जल वितरण का प्रश्न पहले मुख्य समस्या थी किंतु अब अवमृदा बाँध (Subsoil dam) तथा अंत:स्रावी कूपों (Percolating wells) ने, जिनका निर्माण तीरी नदी नितल (Bed) पर स्थित किया गया है, इस समस्या का भी सफल समाधान कर दिया है।साँचा:fix

जावर क्षेत्र की भूतात्विक समीक्षा

विशाल क्षेत्रों में खनिजायन (Meneralization) प्राप्य है जिसमें मुख्यत: दो खनिज, जिंक ब्लेंड (Zinc Blends) तथा गैलेना, मिलते हैं। यह खनिज रेतमय (Siliceous) डोलोमाइट (Dolomite) में प्राप्त होते हैं। निक्षेप मुख्यत: विदर पूरण (Fissure Filling) प्रकार के हैं तथा शिलाओं के साहचर्य में फायलाइट्स (Phyllites) पाए जाते हैं। मोचिया मोगरा पहाड़ी तीन किमी से भी अधिक लंबाई में पूर्व-पश्चिम दिशा में फैली हुई है। साँचा:fix

अयस्क खनिज, प्रतिस्थापित पट्टिकाओं, स्तारित कटिबंधों (Sheeted Zones) तथा बिखरे हुए (Disseminated) एवं व्यासृत (Dispersed) सिघ्मों के रूप में पाए जाते हैं। स्थूल दानावाला (Coarse Graine) गैलेना की विशाल गोहें सीसा समृद्ध क्षेत्र में प्राप्त होती हैं। मुख्य अयस्क खनिजों, गैलेना और स्फेलेराइट (Sphalerite) के साहचर्य में पायराइट भी अनेक स्थानों में मिलता है। स्फेलेराइट यद्यपि कुछ स्थानों पर अत्यंत संकेंद्रित है तथापि अधिकतर नियमित रूप से वितरित है। गैलेना बड़ी या छोटी गोहों में ही प्राप्त होता है।साँचा:fix चाँदी मुख्यत: गेलेना के साथ ही ठोस विलयनों में मिलती है तथा उच्च संस्तभों (Horizons) में यह कभी-कभी प्राकृत रूप (native form) में पाट तथा विदरों में पूरण के रूप में पाई जाती है।साँचा:fix

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