ज़ोलोतोय रोग
ज़ोलोतोय रोग (रूसी: Золотой Рог, अंग्रेज़ी: Zolotoy Rog) एक सींग के आकार वाली समुद्री खाड़ी है जिस से रूस के सुदूर पूर्वी प्रांत प्रिमोर्स्की क्राय का तट लगता है। यह खाड़ी आगे चलकर जापान सागर में मिल जाती है। इसके सींगनुमा आकार की लम्बाई सात किलोमीटर है और चौड़ाई लगभग दो किलोमीटर है। पानी की गहराई २० से २७ मीटर के दरमियान है। अपने आकार की वजह से यह एक बढ़िया प्राकृतिक बंदरगाह है, जिस वजह से इसके मुख पर स्थित व्लादिवोस्तोक नगर भी फला-फूला है।[१]
नाम की उत्पत्ति और इतिहास
१९वीं शताब्दी में चीनी स्रोतों में इसे खाड़ी को 'गामत खाड़ी' बुलाया गया है। सन् १८५० के दशक में एक फ़्रांसिसी जहाज़ ने यहाँ कुछ देर के लिए लंगर डाला था और यह पहली ज्ञात यूरोपीय नौका थी जो कुछ समय के लिए ज़ोलोतोय खाड़ी में रुकी। कुछ वर्षों बाद क्रीमिया के युद्ध के दौरान 'विन्चॅस्टर' नाम की ब्रिटिश जंगी नौका ने भी यहाँ लंगर डाला और इसे 'मई बन्दरगाह' (Port May, पोर्ट मे) का नाम दिया। १८५९ मे रूस के राजदरबार से सम्बन्ध रखने वाले निकोलाय मुरावयोव-अमूर्स्की (Никола́й Муравьёв-Аму́рский) ने जब इस बंदरगाह तो देखा तो उन्हें यह तुर्की के इस्तानबुल शहर की बंदरगाह से मिलती जुलती लगी। उस बंदरगाह का नाम 'सोने का सींग' (तुर्की: Altın Boynuz, अल्तिन बोयनुज़; अंग्रेज़ी: Golden Horn, गोल्डन हॉर्न) है। इसलिए उन्होने इस बंदरगाह का नाम रूसी भाषा में 'ज़ोलोतोय रोग', रखा जिसका अर्थ भी 'सोने का सींग' है।[२]