ज़ुनैरा अल-रुमिया
ज़ुनैरा अल-रुमिया (अन्य लिप्यंतरणों में ज़नीरा, ज़न्निराह, ज़ानिरा या कुछ स्रोतों में ज़िनरा या ज़िनिरा शामिल हैं) एक सहाबिया थीं। वह एक कनी़ज़ थीं। हज़रत अबू बक्र ने उनको मुक्त कराया था।
ज़ुनैरा बानू मखज़ूम [१] की उपपत्नी और उमर इब्न अल- खत्ताब की दासी थीें। वह मक्का में इस्लाम धर्म अपनाने वालों में सबसे पहले थीं। [२] उनके धर्म परिवर्तन के बाद, उनहें अपना नया धर्म त्यागने के लिए कहा गया, लेकिन वह अडिग रहीं। [३] जब अबू जहल को उनके इस्लाम लाने के बारे में पता चला, तो उसने उन्हें पीटा। अबू बक्र उनकी कनीज़ सहेली लुबैना के साथ उन्हें खरीदा और मुक्त कर दिया। [२]
आज़ाद होने का बाद, ज़ुनैरा ने अपनी दृष्टि खो दी। कुरैश ने दावा किया, " अल-लात और अल-उज्जा ने ही उसकी दृष्टि छीन ली है।" [४] [२] लेकिन उनहों ने जवाब दिया, "नहीं, अल्लाह के घर की क़सम, तुम झूठ बोल रहे हो। अल-लात और अल-उज्जा न तो नुकसान पहुंचा सकते हैं और न ही ठीक कर सकते हैं और उन्होंने मुझे पीड़ित नहीं किया है। यह अल्लाह की ओर से है।" [२] [४]
बाद में उनकी आँखो की रोशनी वापस आ गई, मुसलमानों ने कहा किअल्लाह का फ़ज़्ल है। [२] [४] लेकिन कुरैश इसको मुहम्मद (सल्ल) का जादु बताया।" [२]
यह भी देखें
- सहाबा
- गैर अरब साहब की सूची
- साहबा का सुन्नी दृश्य