ज़ंस्कार
साँचा:if empty ज़ंग्स्कार / ज़ंहार | |
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भौगोलिक व सांस्कृतिक क्षेत्र | |
पुरने गाँव में चोरतेन | |
साँचा:location map | |
देश | साँचा:flag |
राज्य | लद्दाख |
जिला | कारगिल जिला |
कुछ बस्तियाँ | सूची
पदुम
आब्रिंग पुरने |
क्षेत्र | साँचा:infobox settlement/areadisp |
ऊँचाई | साँचा:infobox settlement/lengthdisp |
जनसंख्या (2006) | |
• कुल | १३,८४९ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
वासीनाम | ज़ंस्कारी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5.5) |
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ज़ंस्कार (लद्दाख़ी व तिब्बती: ཟངས་དཀར་) भारत के लद्दाख राज्य के पूर्वी भाग में कर्गिल ज़िले में स्थित एक भौगोलिक व सांस्कृतिक क्षेत्र है। प्रशासनिक दृष्टि से यह एक तहसील का दर्जा रखता है और पदुम इसकी राजधानी है। यह क्षेत्र ज़ंस्कार नदी की दो शाखाओं के साथ-साथ बसा हुआ है।
ज़ंस्कार क्षेत्र समीप के क्षेत्र से ज़ंस्कार पर्वतमाला द्वारा विभाजित है। यह पर्वतमाला ६००० मीटर (१९,७०० फ़ुट) की औसत ऊँचाई रखती है और इसका पूर्वी भाग एक पठार के लक्षणों वाला इलाका है जो कि रुपशु कहलाता है। ज़ंस्कार पर्वतमाला हिमाचल प्रदेश में भी जारी रहती है जहाँ यह किन्नौर क्षेत्र को स्पीति घाटी से अलग करती है।
इतिहास और नामोत्पत्ति
ज़ंस्कार और इसके साथ सटा हुआ लद्दाख़ का कुछ भाग कभी गुगे राज्य का भाग हुआ करता था जो कि पश्चिमी तिब्बत पर भी विस्तृत था। ज़ंस्कार का नाम लद्दाख़ी लहजे में "ज़ंग्स्कार" उच्चरित करा जाता है, हालांकि स्थानीय ज़ंस्कारी उच्चारण में यह "ज़न्हार" बोला जाता है। तिब्बती भाषा में ताम्बे को "ज़ंग्स" कहा जाता है और ज़ंस्कार क्षेत्र में भी ताम्बा मिलता है। कुछ स्रोत यह अनुमान लगाते हैं कि नाम का उत्पत्ति इसी से हुई और "ज़ंस्कार" का मूल अर्थ "श्वेत ताम्बा" या "ताम्बे का तारा" हुआ करता था।[१]
लोग
अप्रैल २००६ में स्थानीय स्वास्थ्य-सम्बन्धी जनगणना में ज़ंस्कार की आबादी १३,८४९ थी, जिसमें से लगभग ९५% तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। ५% का एक छोटा अल्पसंख्यक समुदाय सुन्नी मुस्लिम था। जातीय रूप से ज़ंस्कारी लोग चांगपा, दार्द और मोन लोगों का मिश्रण हैं। राजधानी पदुम की जनसंख्या लगभग ५०० है और यह ही ज़ंस्कार का सबसे बड़ा शहर है।[२][३][४]