जम्मू–सियालकोट रेलमार्ग

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जम्मू से सियालकोट की प्रथम रेलगाडी। १९वीं सदी का चित्र सर्चकश्मिर डॉट ओर्ग के सौजन्य से।
विक्रम चौक में पुराना जम्मू स्टेशन।

जम्मू–सियालकोट रेलमार्ग साँचा:convert की सियालकोट से होकर वज़ीराबाद, पंजाब से जम्मू जाने वाली छोटी रेलमार्ग की शाखा थी।[१][२] इसका निर्माण 1897 में हुआ और जम्मू और कश्मीर की पहली रेलमार्ग थी।[३] जब तक यह परिवहन मार्ग खुला था तब तक यह व्यापार और वाणिज्य के लिए काम में लिया जाता था। यह मार्ग मुख्यतः चीनी और शक्कर के व्यापार के काम में लिया जाता था। यह मार्ग भारत के विभाजन के बाद बन्द हो गया[४][५] और 1971 में इसके स्थान पर पठानकोट से जम्मू तक एक अन्य ब्रॉडगेज रेलमार्ग का निर्माण कर दिया गया।[५][६]

रेलमार्ग पर आने वाले स्टेशन

यह रेलमार्ग मीरां साहिब, रणबीर सिंह पोरा और सुचेतगढ़ कस्बों से गुजरती थी। सियालकोट से चलने वाली रेलगाड़ी स्थानीय समय सुबह ०८:०० बजे चलती थी और सुबह ११:०० बजे जम्मू पहूँचती थी।[४][५]

विभाजन के बाद

रेलमार्ग सीमा के दोनों तरफ जीर्णावस्था में पहुँच चुकी है।[४][५] पाकिस्तान की ओर रेलमार्ग सियालकोट छावनी स्टेशन तक कार्यकारी अवस्था में है। भारत की ओर रेलमार्ग पूर्णतया खो चुकी है। रणबीर सिंह पोरा में पुंछ शरणार्थियों ने रेलमार्ग और उसके आसपास की भूमि पर स्थापित हो गये। राज्य सरकार ने रणबीर सिंह पुरा स्टेशन को विरासत स्थल बनाने की योजना बनाई, यद्यपि योजना कभी निष्पादित नहीं हो सकी। पुरातात्विक अधिकारियों अथवा उत्तर रेलवे ने भी इसमें कोई रूचि नहीं दिखाई।[५]

वर्ष 2000 में, एक बहुत ही पुराना जम्मू रेलवे स्टेशन को कला केन्द्र बनाने के लिए ध्वस्थ कर दिया गया।[७]

सम्भावित पुनरुद्धार

रेलमार्ग सीमा के दोनो तरफ के विभिन्न बुजुर्गों के लिए खिन्नता का स्रोत है। यह सुझाव कई बार आया कि भारत और पाकिस्तान के मध्य व्यापार के लिए यह मार्ग पुनः खोला जाये। पाकिस्तान के प्रथम राष्ट्रगान के लेखक एक हिन्दू जगन नाथ आज़ाद को हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा फैलाने के कारण लाहौर छोड़ना पड़ा। जुलाई २००१ में, आगरा शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान के मध्य लम्बित इस मसले को हल करने की कोशिश की गई। इससे आज़ाद को एक आशा की नई किरण दिखाई दी। लेकिन अन्ततः शिखर सम्मेलन इसे मूर्त रूप देने में असमर्थ रहा।[८] पाकिस्तान रेल द्वारा दिसम्बर २०१३ में किये गए एक विस्तृत सर्वेक्षण में दर्शाया गया कि यह रेलमार्ग व्यर्थ हो चुकी है और इसकी मरम्मत करने में अरबों रुपये खर्च होंगे।[९]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Jammu-Sialkot handshake स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। डेली एक्सेलसियर
  2. SIALKOTE (सियालकोट), 1911 ब्रिटैनिका विश्वकोश
  3. Jammu Town (जम्मू कस्बा) स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।इम्पीरियल गज़ेटियर ऑफ़ इंडिया, भाग 14, पृष्ठ 49.
  4. Train to Sialkot: Nostalgia dies hard for some Jammu veterans स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। – PRADEEP DUTTA. INDIAN EXPRESS
  5. साँचा:cite web
  6. साँचा:cite web
  7. साँचा:cite web
  8. साँचा:cite web
  9. साँचा:cite web