छत्तीसगढ़ के लोकगीत और लोकनृत्य

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छत्तीसगढ़ की संस्कृति अत्यंत समृद्ध है, जो यहां के पारम्परिक लोकगीत एवं लोकनृत्य में दिखाई देती है। यहां की संस्‍क़ति लोकसंस्कृति और जनजातीय संस्कृति में झलकती है। यहां के लोकनृत्य एवं जनजातीय नृत्य पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ के लोकगीतों में पंडवानी, भरथरी, चंदैनी, ढोलामारू,ददरिया, बांस गीत प्रमुख हैं, वहीं लोकनृत्यों में सुआ, राउत नाचा, करमा, ककसार, गौर नृत्य प्रमुख है।

प्रमुख नृत्य

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  • परघोनी नृत्य अथवा परघौनी नृत्य छत्तीसगढ़ के बैगा आदिवासी लोगों का नृत्य है। इसे विवाह के अवसर पर बरात के स्वागत के समय किया जाता है।[१]

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