चीन-सोवियत सीमा संघर्ष
चीन-सोवियत सीमा संघर्ष चीन-सोवियत राजनयिक संबंधों के अंत के बाद 1969 में सोवियत संघ और चीन के बीच सात महीने का अघोषित सैन्य संघर्ष को कहा जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ये सबसे गंभीर सीमा संघर्ष था जिसने दुनिया के दो सबसे बड़े कम्युनिस्ट राज्यों को युद्ध के कगार पर ला खड़ा कर दिया था। मार्च 1969 में मंचूरिया के पास उससुरी (वुसुली) नदी पर झेनबाओ (दमन्स्की) द्वीप के पास ये सीमा विवाद प्रारम्भ हुआ। इस संघर्ष का अंत युद्धविराम द्वारा हुआ, जिसके कारण दोनों सेनाओ की यथास्थिति पे वापसी हुई।[१]
इतिहास
उत्तर पश्चिमी चीन के झिंजियांग प्रांत में शेंग शिकाई (1933-1944) के शासन के तहत, चीनी कुओमिन्तांग ने सोवियत जातीय नीति का पालन करते हुए पहली बार उइगर लोगों की जातीय श्रेणी को मान्यता दी। इससे इसे क्षेत्रीय स्वायत्तता प्राप्त हुई जिससे सोवियत संघ को फायदा मिला और उसने अल्टिशहर (दक्षिणी झिंजियांग) और ज़ुंगरिया (उत्तरी झिंजियांग) में "क्रांति" करने के लिए फ़रगना और सेमीरेची में सम्मेलन आयोजित किए।[२]
सोवियत संघ और श्वेत आंदोलन दोनों ने तीन जिलों की क्रांति में कुओमिन्तांग से लड़ने के लिए इली राष्ट्रीय सेना के साथ गुप्त रूप से गठबंधन किया। ज्यादातर मुस्लिम उइगर विद्रोहियों ने हान चीनी के खिलाफ जनसंहार में भाग लिया। इससे होने वाली उथल-पुथल के परिणामस्वरूप झिंजियांग में कुओमिन्तांग शासन को बदल कर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का शासन कायम हुआ।[३]
इस बढ़ते तनाव के बीच सोवियत संघ और चीन ने सीमा वार्ता शुरू की। यद्यपि सोवियत संघ ने 1945 में चीनी कम्युनिस्टों को जापानी कठपुतली राज्य मांचुकुओ के सभी क्षेत्र प्रदान किए थे, जिन्होंने चीनी गृहयुद्ध के दौरान निर्णायक रूप से उनकी सहायता की। परन्तु चीनियों ने अब अप्रत्यक्ष रूप से इस आधार पर क्षेत्रीय रियायतों की मांग की कि 19वीं शताब्दी की किंग राजवंश और रूसी साम्राज्य द्वारा मंचूरिया के स्वामित्व को लेकर की गयी संधियां "असमान संधि" थी और वे क्षेत्र चीन का अभिन अंग थे । मॉस्को ने इस व्याख्या को स्वीकार नहीं किया।[४]
सन्दर्भ
- ↑ China signs border demarcation pact with Russia स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।. Reuters. 21 July 2008.
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite book