चलना

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चलना या चालन या टहलना भूमि पर जानवरों का गमन या संचलन का मुख्य प्रकार है और यह दौड़ने और रेंगने से अलग होता है।

चलना दौड़ने से इस अर्थ में भिन्न है, क्योंकि चलते समय हर कदम पर मानव या दोपायों के सिर्फ एक पैर का संपर्क ही भूमि से समाप्त होता है जबकि दौड़ते समय हर कदम पर मानव या दोपायों के दोनों पैर ही भूमि से संपर्क समाप्त कर देते हैं। अश्वों और इनके जैसे अन्य जीवों मे दौड़ने के कई प्रकार हो सकते है पर चलते समय हर कदम पर इनके तीन पैर भूमि पर होते हैं।

लाभकर है पैदल चलना

आज की भागमभाग जिंदगी के इस दौर में पैरों से चलना लगभग नहीं के बराबर हो गया है और व्यक्ति इन तमाम फायदों की जानकारी रखते हुए भी पैदल चलने से कतराता है या यूं कह लीजिए कि हम सब लोग मशीनी युग के आ जाने के कारण आलस्य के आगोश में आ गए हैं।

आखिरकार ऐसा हो भी क्यों न, जबकि वैज्ञानिकों के नित नये-नये आविष्कारों की सुविधाओं ने हमें आलस्य के इस धरातल पर ला बिठाया है जिसकी वजह से पैदल चलना गैर जरूरी सा लगने लगा है। वास्तव में यह एक बहुत बड़ी कमी को रेखांकित करता है। पैदल चलना हमारी रोज की दिनचर्या रूपी जिंदगी में काफी हद तक कम हो गया है, किन्तु वर्तमान समय में यह स्वास्थ्य के लिए पहले से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। पैदल चलना भी एक व्यायाम के ही बराबर है। जहां प्रात:काल टहलने से सम्पूर्ण शरीर पर एक खास असर पड़ता है वहीं शरीर में एक खास असर पड़ता है वहीं शरीर में हाथों, घुटनों एवं जंघाओं जैसे जोड़ों के दर्द से निजात भी दिलाता है। सुबह के समय घूमना हर लिहाज से स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है।

आश्चर्य की बात तो यह है कि पैदल चलने से बूढ़े भी जवान महसूस करते हैं क्योंकि ऐसा करने पर उनके उत्तकों की मरम्मत का कार्य भली-भांति सम्पन्न हो जाता है। इसीलिये यदि आप युवा दिखने की इच्छा को मन में रखते हैं तो अधिक से अधिक पैदल चलें। यकीनन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित होगा। टहलने से न केवल पाचन प्रणाली सही ढंग से काम करती है अपितु कब्ज से परेशान व्यक्ति को भी अवश्य ही लाभ पहुंचाता है। और तो और, टहलने से शारीरिक स्वास्थ्य उत्तम रहने के साथ-साथ उससे कहीं अधिक हमारे मानसिक स्वास्थ्य को फायदा होता है। गौरतलब है कि तन मन की थकान और तनाव को दूर करने हेतु सदियों से यह प्रचलन इस्तेमाल होता आ रहा है क्योंकि व्यक्ति के पैरों की संरचना दौड़ने की अपेक्षा ज्यादा चलने के लिए ही अति उपयुक्त है। दौड़ने से ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है जबकि पैरों के अगले हिस्से मसलन पंजों पर चलने वाले एड़ी पर चलने वालों की तुलना में 53 प्रतिशत से 63 प्रतिशत ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है। इतना ही नहीं, पैरों के अगले हिस्से यानी पंजों के बल चलते वक्त एड़ी पर चलने की अपेक्षा में टखने, घुटने, कूल्हे और पीठ की मुख्य मांसपेशियों की क्रियाशीलता काफी हद तक बढ़ जाती है। इसलिए कहते हैं कि दौड़ने की बजाय चलना ही बेहतर होता है। टहलते समय जो बात ध्यान में रखनी चाहिए वह यह है कि टहलते समय शारीरिक मुद्रा का विशेष स्मरण रखना जरूरी है अन्यथा अभीष्ठ लाभ नहीं मिलता। टहलते समय शरीर को बिल्कुल सीधा होना चाहिए तथा मुंह बंद होना चाहिए और सांस पूरी तरह नाक के मार्ग से ही लेना चाहिए। तभी लाभदायक साबित होगा। कोशिश करें कि फेफड़ों के बजाय पेट से सांस लें। इससे शरीर को अधिक आक्सीजन मिलती है जो दिमाग तक जाती है और इससे सोचने और समझने की क्षमता में खास बढ़ोतरी होती है। हालांकि पैदल कभी भी चल सकते हैं परन्तु विशेषज्ञों के अनुसार टहलने के लिए प्रात:कालीन और संध्या के समय को उपयुक्त माना जाता है क्योंकि उस समय शरीर से स्टेरायड हार्मोन अधिकाधिक निकलते हैं जो इंसान को सुखद अनुभव महसूस कराते हैं। सो, जब हम टहलने के लिए बाहर निकलते हैं तो सड़क व गलियों के टहलने के स्थान पर पेड़-पौधों के मध्य पार्क के बीचो बीच सैर करने जैसी आदतों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

यह एक तथ्य है कि घूमने से हमें मानसिक प्रसन्नता का संचार दिखाई देता है। पैदल चलना पूरी तरह से कायाकल्प कर सकता है। इतना ही नहीं, पढ़ने वाले बच्चों के लिए सुबह भ्रमण करना बेहद ही लाभदायक है क्योंकि सुबह नियमित रूप से टहलने से एकाग्रता का सहज ही विकास होता है जिससे याद करने में अधिक कठिनाई महसूस नहीं होती।

विशेषज्ञों के अनुसार, प्रात:काल टहलने से मस्तिष्क में एंडोर्फिन हारमोन स्रावित होता है जिस कारण हमारा मूड परिवर्तित होता है और सकारात्मक भावनाएं उत्पन्न होती है। इसीलिए आज से ही पैदल चलने का अहम् फैसला कर लीजिए और तैयार हो जाइए सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय लंबी जॉगिंग तक जाने के लिए जो कि दुनियां की सबसे बेहतरीन कसरत है। वैसे भी चलना ही जिंदगी है तो क्यों न खूब पैदल चला जाएं।