घुटन
जब गर्दन में दबाव के अतिरिक्त अन्य किसी कारण से सांस लेने में दिक्कत होती है, जिससे मृत्यु हो जाती है और सांस लेने की इस दिक्कत को घुटन कहते हैं। घुटन असफीकशिया का ही प्रकार है जो की डीएम घुटने से व्यक्ति की मृत्यु भी क्र देता है। गर्दन पर दबाव हाथो की मदद से, किसी कपडे की सहायता से या अन्य किसी चीज़ से नाक और मुह्ह को बंद करने से घुटन होती है, जिससे मृत्यु होती है। घुटन निम्न प्रकार से हो सकती है:
- स्मोथ्रिंग
- गैगिंग
- छाती पर दबाव देने से
- जेहरिली गैस का श्वसन करने से
- चोकिंग
- बर्किंग
- पिकविकैन सिंड्रोम
इन सभी से मृत्यु होती है जिसका कारण दम घुटना ही होता है। दम घुटने से काफी बार हृदय गति भी कम हो जाती है। घुटन की स्थिति का घटक काल ४-५ मिनट होता है। घुटन के बाहरी लक्षणों में मुंह, नाख़ून, गाल, नाक पर रगड़न दिखाई देती है। इसके अलावा छाती की पसलिय टूट जाती है, नाख़ून व् उंगलियाँ नीली पड़ जाती है, जीभ बहर निकल जाती है, मुह्ह से लार गिरती है, रक्त मिश्रित झाग भी निकलती है। घुटन होने से मृत शारीर में यह लक्षण दिखाई देते है, जिनसे मृत्यु का कारण जैसे हत्या हुई है या आत्महत्या है, उसका समय आदि भी पता किया जाता है।