घीसादास
संत घीसादास भक्तिकाल के कवि एवं सन्त थे।[१] उन्हें संत कबीर के शिष्यों में से एक माना जाता है। हालांकि वे कबीर जी के समकालीन नहीं थे। घीसा दास जी गांव खेखड़ा जिला मेरठ उत्तर प्रदेश में हुए थे। वही उनकी यादगार भी बनी हुई है।[२] कहा जाता है उन्हें 7 वर्ष की आयु में परमात्मा मिले थे।
परमात्मा मिलन
कहा जाता है वे 7 वर्ष की छोटी सी आयु में गांव के पास ही खेल रहे थे वहां और भी बालक थे, एक वृद्धा भी उनके आसपास बैठी थी तभी ज़िंदा बाबा के रूप में परमात्मा आए और समझाने लगे कि बेटा भक्ति किया करो, जिन देवी देवताओं की उपासना तुम गांव वगैरह में मात पिता के साथ जाकर करते हो पूर्ण परमात्मा उनसे कोई अन्य है।
घीसा नाम के छोटे से बालक को इन बातों में विशेष उत्सुकता लगी। तब उस छोटे से बालक घीसा दास जी को परमात्मा उस जगह से थोड़ी दूर 200 गज के लगभग ले गए और उन्हें पूरा ज्ञान समझाया तथा वहां से उनकी आत्मा को सतलोक ले गए।
उधर वह बच्चा वहां बेहोंश होकर लुढ़क गया और परमात्मा अन्तर्ध्यान हो गए। यह दृश्य वह बतेरी नाम की वृद्धा देख रही थी। उसने देखा कि उन संत ने कमंडल से कुछ जल वगैरह पिलाया और बच्चा बेहोश हो गया। उसने जाकर गांव में सूचना दी सारी बात बताई। उसे उठाकर घर लाए। उसके माता पिता चिंतित होकर बेहोश हो गए। इकलौता पुत्र था, बहुत दिनों बाद प्राप्त हुआ था। दोपहर बाद की बात थी। सारी रात बेहोश रहे। सवेरे आदरणीय घीसादास जी जब होश में आए तो तो परमात्मा का पूरा परिचय दिया। बताया परमात्मा कबीर साहेब जी आए थे मुझे सतलोक लेकर गए। वैसे माता पिता ने उनकी बातों में दिलचस्पी नहीं ली, उन्हें तो अपना बच्चा जीवित मिल गया, सौ सौ शुक्र मनाए। बात आई गई हो गई। आगे चलकर ये महापुरुष संत घीसा दास जी नाम से प्रसिद्ध हुए, उनके आश्रम की खेखड़ा मेरठ नाम से आज भी यादगार बनी हुई है।[३] आप जी कबीर जी को परमात्मा मानने के साक्षी हैं।
उनके गांव के चौधरी जीता जाट को चमत्कार दिखाया तथा पूूूरे गांव को संकटों से मुक्त करवाया था तबसे उनके गांव वाले उनका अनुसरण करने लगे।[४]