घर्षणमापी
घर्षणमापी ( tribometer) वह यंत्र है जो घर्षण बल, घर्षण गुणांक, घिसाव आदि का मापन करता है। इसका आविष्कार १८वीं शताब्दी में डेनमर्क के वैज्ञानिक मुस्केनब्रुक ( Musschenbroek) ने किया था।
सिद्धान्त
चूँकि किसी तल पर किसी पिंड की गति में घर्षण को दूर करने के लिए हमेशा कुछ बाहरी बल होना चाहिए, अतः हम इस बाहरी बल का मापन करके घर्षण को माप सकते हैं। घिर्री के ऊपर से जाने वाली रस्सी की मदद से, जिसके अंत में बाटों वाला कटोरा होता है, हम इतना बाट रखते हैं कि वस्तु जैसे-तैसे चलना शुरू कर दे। बाटों की यही मात्रा घर्षण की मात्रा का द्योतक है।
प्रयोगों से पता चला है कि फिसलने वाला घर्षण वस्तु के भार G के समानुपाती होता है। अर्थात ऊर्ध्वाधर बल Fn, जो किसी क्षैतिज सतह पर वस्तु के भार के बराबर होता है, के बराबर। Fn वस्तु के भार की प्रतिक्रिया है और इसकी विपरीत दिशा में होता है। तदनुसार,
- <math> F_t= \mu \cdot F_n </math>
इससे घर्षण गुणांक μ का मान यह निकलता है-
- <math> \mu = \frac{F_t}{F_n} = \frac{F_t}{G} </math>