ग्लाइकोल
द्वि-हाइड्राक्सि ऐलकोहलों को ग्लाइकोल (Glycol) के नाम से संबोधित किया जाता है। इनकी उत्पत्ति किसी हाइड्रोकार्बन के दो हाइड्रोजन परमाणुओं को दो हाइड्राक्सिल समूहों से प्रतिस्थापित करके हो सकती है, पर दोनों हाइड्राक्सिल समूह भिन्न भिन्न कार्बनों से संयुक्त होने चाहिए। हाइड्राक्सिल समूहों के पारस्परिक स्थानों के विचार से इन्हें ऐल्फा-, बीटा-, गामा-, अथवा डेल्टा-ग्लाइकोलों में श्रेणीबद्ध किया जाता है।
इस वर्ग का सबसे सरल यौगिक एथिलीन ग्लाइकोल है, जिसे केवल ग्लाइकोल भी कहते हैं। इसका रासायनिक सूत्र HO-CH2-CH2-OH है।
इनके उच्च सजातीय, ऐल्फा प्रोपिलीन ग्लाइकोल CH3. CH. OH. CH2 OH) तथा CH3. CH (OH). CH (OH)CH3) भी चाशनी सदृश द्रव हैं और इनकी प्राप्ति प्रोपिलीन तथा ब्यूटिलीन से होती है। कुछ संकीर्ण ग्लाइकोल भी कीटोनों के वैद्युत-विश्लेषी अपकरण पर प्राप्त होते हैं। इसी प्रकार ऐसीटोन से एक ग्लाइकोल, जिसे पिनैकोल (टेट्रा मेथाइल एथिलीन ग्लाइकोल) कहते हैं, प्राप्त होता है। इसका गलनांक ३८° सें. है और ये सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ आसवन करने पर एक कीटोन, पिनैकोलीन देता है।
[[श्रेणी:कार्बनिक विसिनल ग्लाइकोल के ऑक्सीकारक विदलन समझाइए? ]]